International Literacy Day 2025: 8 सितंबर को क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस? जानें इतिहास और महत्व

International Literacy Day 2025: ज्ञान ही शक्ति है और शिक्षा ही विकास का सबसे बड़ा आधार है। इसी सोच को दुनिया भर में मजबूत करने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीयसाक्षरता दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन को जीने का सही तरीका सिखाती है।2025 तक भारत ने साक्षरता दर में प्रगति की है, लेकिन अब भी ग्रामीण इलाकों, गरीब तबकों और महिलाओं तक शिक्षा पहुंचाने की चुनौती बनी हुई है। नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) इस दिशा में बड़ा कदम है, जो शिक्षा को अधिक समावेशी और कौशल आधारित बना रही है। साक्षरता दिवस एक वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला दिन है। इस मौके पर समाज में शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जाता है। भारत में भी साक्षरता का स्तर बढ़ाने के लिए इस दिन को विशेष अभियान के रूप में मनाते हैं। भारत सरकार साक्षरता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान का संचालन करती है, जिसके जरिए सभी भारतीयों को पढ़ाई की ओर अग्रसर किया जाता है।आइए जानते हैं साक्षरता दिवस का इतिहास, महत्व और भारत की साक्षरता दर। साक्षरता क्या होती है साक्षरता शब्द साक्षर से बना है, जिसका अर्थ अक्षर समझने में सक्षम व्यक्ति से है यानी जो पढ़ने लिखने में सक्षम हो। बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर साक्षरता दिवस मनाते हैं। कब और क्यों हुई साक्षरता दिवस मनाने की शुरुआत 1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों का विश्व सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के विचार को जन्म दिया। इसके बाद यूनेस्को ने 1966 में अपने 14वें आम सम्मेलन के दौरान आधिकारिक तौर पर 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया। एक साल बाद 8 सितंबर, 1967 को दुनिया ने पहली बार इस खास दिन को मनाया, जिसने एक महत्वपूर्ण वैश्विक पालन की शुरुआत की।इसका उद्देश्य था दुनियाभर के लोगों को शिक्षा के महत्व से जोड़ना और निरक्षरता को जड़ से मिटाना। साक्षरता दिवस का महत्व साक्षरता सिर्फ पढ़ने-लिखने की क्षमता नहीं, बल्कि समाज में समान अवसर पाने का अधिकार भी है। यह गरीबी कम करने, रोजगार पाने और महिला सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाती है। डिजिटल युग में साक्षरता का मतलब सिर्फ अक्षरज्ञान नहीं, बल्कि डिजिटल साक्षरता भी है। साक्षरता दिवस 2025 की थीम अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम है'डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना'। इसके पहले साल 2024 साक्षरता दिवस की थीम "बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ और शांति के लिए साक्षरता"थी। भारत की साक्षरता दर 2025 तक राष्ट्रीय सर्वेक्षण और शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 तक भारत की कुल साक्षरता दर लगभग 80% से अधिक तक पहुंच चुकी है।पुरुषों की साक्षरता दर लगभग 84% और महिलाओं की करीब 76% आंकी गई है। में मिजोरम, गोवा और त्रिपुरा पूर्ण साक्षर राज्यों के दायरे में आते हैं। वहीं केरल सबसे ज्यादा साक्षर है, जबकि बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में साक्षरता दर अभी भी कम है। सरकार की नवभारत साक्षरता कार्यक्रम, डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं ने इसमें अहम योगदान दिया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 10:15 IST
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