चंडीगढ़: पीजीआई में 12 वर्षों से इंटर्नल ऑडिट बंद, संस्थान के पास कोई दस्तावेज नहीं उपलब्ध

देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थान में शुमार चंडीगढ़ पीजीआई के पास अपने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। इतना ही नहीं संस्थान में पिछले 12 वर्षों से इंटर्नल ऑडिट बंद है। उपकरण या दवाओं की खरीद हो या कर्मचारियों की नियुक्ति, किसी भी मामले से जुड़े रिकॉर्ड मेनटेन नहीं किए जा रहे हैं। इस पर कैग लगातार आपत्ति जता रहा है, लेकिन सुधार की बजाय संस्थान पुराने ढर्रे पर चल रहा है। इस मामले का खुलासा एक आरटीआई की रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें पीजीआई ने अपनी कमियों को खुद स्वीकार किया है। इतना ही नहीं बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद सुधार न किए जाने के सवाल पर संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। 14 दिसंबर 2022 को आरटीआई डाली गई है जिसका जवाब 26 दिसंबर को दिया गया। आरटीआई में मांगे गए एक्सटर्नल ऑडिट की रिपोर्ट में इन कमियों का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में संस्थान ने यहां तक कबूल किया है कि उसे अपनी संपत्ति की भी जानकारी नहीं है। वहीं एकाउंट के तय मानकों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से रिकॉर्ड मेनटेन किए जा रहे हैं। बैंक बैलेंस के रिकॉर्ड तक मेनटेन नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में शोध कार्य के साथ ही मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रति वर्ष मिलने वाले करोड़ों रुपये के बजट के खर्च पर भी सवाल उठने लगा है। उपकरण की खरीद से लेकर नियुक्ति तक में हो रहा घालमेल रिकॉर्ड की अनदेखी का ही परिणाम है जो पीजीआई जैसे संस्थान में एक के बाद एक गड़बड़ियां सामने आने के बाद भी प्रशासन मौन है। देश में उपलब्ध 2.55 करोड़ की इंटिग्रेटेड फुली ऑटोमेटेड हिस्टोपैथालॉजी वर्क स्टेशन मशीन को दरकिनार कर संस्थान में एक दूसरे वेंडर से 6 करोड़ 5 लाख 23 हजार 74 पैसे में मशीन को खरीदा गया है। वहीं मानक को दरकिनार कर 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को तैनाती दी गई है। इतना ही नहीं सुरक्षाकर्मियों की भर्ती से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण संस्थान न चाहते हुए मेरिट में बदलाव कर रहा है। इन सभी मामलों को अमर उजाला प्रमुखता से प्रकाशित कर चुका है। ऑडिट ने अनगिनत बिंदुओं पर जताई है आपत्ति एकाउंट में डबल एंट्री सिस्टम का पालन नहीं हो रहा। सिंगल एंट्री बेसिस पर ही हो रहा काम। संस्थान ने जरनल बाउचर, जरनल बुक्स, पर्सनल लेजर्स (बही खाता) मेनटेन नहीं किया है। एकाउंटिंग मैनुअल नहीं है उपलब्ध। इस पर पिछली ऑडिट में भी कैग ने आपत्ति जताई थी। पीजीआई एक्ट के अनुसार पेंशन फंड, (सेक्शन 20 क्लॉज 1 ) नहीं बनाया गया। इस पर भी पूर्व में आपत्ति की जा चुकी है। 2009-10 के बाद इंटर्न ऑडिट नहीं की गई। इंर्टनल ऑडिट सेल में कर्मचारियों की कमी पाई गई। दो कर्मचारी हैं, जिसमें से एक अनुबंध पर है। पीजीआई एक्ट के सेक्शन 13 के अनुसार गर्वनिंग बॉडी की बैठक 12 महीने में चार बार होनी चाहिए जबकि संस्थान ने सिर्फ एक ही बैठक की है। यह एक्ट की अवहेलना है। कंट्रोल रजिस्टर संस्थान की ओर से मेनटेन नहीं किया गया है। इसमें इन्वेस्टमेंट, जीपीएफ, एफडी और पूअर पेशेंट वेलफेयर फंड का ब्योरा होता है। संस्थान के पास अपनी सपंत्ति का भी ब्योरा नहीं है। बैंक बेलेंस के रिकॉर्ड क्लीयर नहीं है। पिछली ऑडिट रिपोर्ट में दिए गए निर्देशों का कोई पालन सुनिश्चित नहीं किया गया। जब तक बड़े संस्थानों का एकाउंटिंग सिस्टम ठीक नहीं होता तब तक व्यवस्था में सुधार होना संभव नहीं है। इन कमियों के कारण बड़े से बड़े संस्थान को बर्बाद होने में समय नहीं लगता इसलिए पीजीआई को सचेत हो जाना चाहिए। -आरके गर्ग, आरटीआई एक्टिविस्ट

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 04, 2023, 10:41 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




चंडीगढ़: पीजीआई में 12 वर्षों से इंटर्नल ऑडिट बंद, संस्थान के पास कोई दस्तावेज नहीं उपलब्ध #CityStates #Chandigarh #ChandigarhNews #PgiChandigarh #InternalAudit #Rti #SubahSamachar