Bangladesh: बांगलादेश ने भारत के बयान को बताया 'अनावश्यक', कहा- यह हमारे अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी
बांग्लादेश ने गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से हाल ही में दिए गए बयान को 'अनावश्यक' करार दिया और इसे दूसरे देश के अंदरूनी मामले में 'दखलंदाजी' बताया। भारत ने पिछले हफ्ते बांग्लादेश में कुछ हिंसक चरमपंथियों को रिहा करने पर चिंता जताई थी और कहा था कि यह ढाका की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा करे, साथ ही उनके धर्मस्थलों की भी सुरक्षा करे। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने कहा, ढाका ने भारतीय विदेश मंत्रालय के उस बयान पर ध्यान दिया है, जिसमें बांग्लादेश के चुनाव, कानून-व्यवस्था की स्थिति और अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों पर टिप्पणी की गई थी। आलम ने मीडिया से बातचीत में कहा, बांग्लादेश का मानना है कि ये मुद्दे उसके पूरी तरह से अंदरूनी मामले हैं और इस प्रकार के बयान अनावश्यक हैं और दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी के समान हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बयान भ्रामक है और यह जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाता है। भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, भारत एक स्थिर, शांतिपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बांग्लादेश का समर्थन करता है, जहां सभी मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीकों और समावेशी और समावेशी चुनावों के जरिए हल किया जाना चाहिए। उन्होंने चिंता जताई थी कि बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। यह स्थिति उन हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और अधिक खराब हो गई है, जिनको गंभीर अपराधों के लिए सजा सुनाई गई थी। भारत ने कई बार कहा है कि यह अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों, उनकी संपत्ति और धर्मस्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। ये भी पढ़ें:Bangladesh:बांग्लादेश में शेख हसीना और परिवार की मुश्किलें बढ़ीं, घर 'सुदासाधन' समेत कई संपत्तियां होंगी जब्त वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा, बांग्लादेश हर देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और आंतरिक मामलों में दखलंदाजी से बचने के सिद्धांतों का सम्मान करता है। साथ ही वह भारत के साथ आपसी सम्मान, भरोसे और समझ के आदार पर दोस्ताना और रचनात्मक संबंध आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि भारत सरकार से जुड़े अधिकार ऐसे बयान देने से बचने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। अवामी लीग की नेता शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में कड़वाहट आई है। बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शनों के बाद हसीना को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा और वह भागकर भारत आ गईं। तबसे वह भारत में रह रही हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले हुए। बाद में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया। लेकिन अंतरिम सरकार भी इन हमलों को रोकने में विफल रही, जिसके कारण दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आ गई। संबंधित वीडियो-
- Source: www.amarujala.com
- Published: Mar 13, 2025, 19:48 IST
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