GDP: भारत की तेज बढ़ती आर्थिक रफ्तार ग्लोबल पावरशिफ्ट की शुरुआत, पश्चिमी मीडिया ने कहा- यह कृत्रिम नहीं
अमेरिकी टैरिफ को बेअसर करते हुए दूसरी तिमाही में भारतीय जीडीपी की 8.2% वृद्धि, विनिर्माण व सेवाओं में उछाल व घरेलू मांग की मजबूती ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर मोड़ दिया है। पश्चिमी और खाड़ी देशों के मीडिया समूहों ने इसे ग्लोबल पावरशिफ्ट की शुरुआत बताया है, जहां अमेरिका-चीन की धीमी आर्थिक रफ्तार के बीच भारत सबसे तेजी से उभरती शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। यह तेज भागती आर्थिक रफ्तार कृत्रिम नहीं बल्कि लंबे समय से किए गए प्रयासों का परिणाम है। अमेरिकी मीडिया ग्रुप्स ने लिखा, भारत की वृद्धि दर लगातार 6 तिमाहियों तक 7 प्रतिशत से अधिक रहना विश्व अर्थव्यवस्था में दुर्लभ है। अमेरिकी जीडीपी की धीमी मांग व चीन की उत्पादन सुस्ती के विपरीत भारत में घरेलू उपभोग 6.4% से बढ़कर 7.9% होना आर्थिक उछाल की बड़ी वजह है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा, भारत में उपभोक्ता खर्च, उत्सव सीजन की मांग व विनिर्माण उद्योग में भरोसा दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवर नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण कर रही है। यूरोपीय आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा, भारत की वृद्धि कृत्रिम नहीं बल्कि वास्तविक मांग आधारित है। दूसरे देशों की तुलना में भारत की महंगाई नियंत्रित, रोजगार बाजार स्थिर और कॉरपोरेट निवेश से संकेत मिलते हैं कि भारतीय विकास मॉडल लंबे समय तक टिकाऊ रहेगा। फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा कि कृषि वृद्धि 1.6% पर रहने के बावजूद आर्थिक रफ्तार का तेज रहना भारत की बहु आयामी मजबूती दिखाता है। अल अरेबिया बिजनेस और गल्फ इकनॉमिक टाइम्स ने भारत को निवेश का नया सुरक्षित व उच्च लाभ वाला बाजार बताया। लगातार मजबूत घरेलू मांग भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका बड़ा और सक्रिय घरेलू बाजार है। त्योहारों, उपभोक्ता खर्च व जीवन स्तर में सुधार ने बाजार की मांग को स्थिर बनाया है। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी, आपूर्ति श्रृंखला संकट और निर्यात में गिरावट से प्रभावित रहती है तब भी भारत की मांग घरेलू स्तर पर ही अर्थव्यवस्था को सहारा देने और आगे बढ़ाने में सक्षम रही। विनिर्माण व सेवाओं में विस्तार भारत ने कुछ वर्षों में विनिर्माण के लिए नीतिगत प्रोत्साहन, निवेश आकर्षण और औद्योगिक क्लस्टर निर्माण पर जोर दिया। इसका परिणाम यह रहा कि उत्पादन व रोजगार सृजन मजबूत हुआ। एशिया क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदला एशिया पावर इंडेक्स-2025 का हवाला देते हुए पश्चिमी विश्लेषकों ने लिखा है कि भारत ने रूस, जापान और ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़कर एशिया की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनकर क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति दोनों में अपने प्रभाव का विस्तार किया है। 83.90 स्कोर के साथ भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे है, जबकि सैन्य आधुनिकीकरण और नौसैनिक क्षमता भारत को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। पश्चिमी विश्लेशको ने भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था को छह कसौटियों पर कसा है। उच्च आर्थिक वृद्धि जीडीपी वृद्धि उच्च दायरे में बनी रहने से पश्चिमी मीडिया ने कहा, देश अल्पकालिक उछाल से आगे बढ़कर संरचनात्मक विकास के चरण में आ चुका है। उत्पादन, निवेश व उपभोग में वृद्धि से आर्थिक रफ्तार अब किसी एक उद्योग पर निर्भर नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था सामूहिक रूप से आगे बढ़ रही है। सैन्य आधुनिकीकरण सैन्य क्षमता में सुधार और समुद्री सामरिक नियंत्रण भारत के आर्थिक उत्थान को सीधे मजबूती देता है। आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां, ड्रोन सिस्टम, मिसाइल तकनीक और समुद्री निगरानी का विस्तार हिंद–प्रशांत क्षेत्र में व्यापार मार्गों की सुरक्षा और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाता है। ये भी पढ़ें:चिंता: देश में 72% क्षेत्रों से गिद्ध गायब, एनजीटी ने लिया स्वतः संज्ञान; पर्यावरण मंत्रालय से मांगा जवाब वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन नीति पश्चिमी मीडिया की दृष्टि में भारत की विदेश नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह किसी एक महाशक्ति के दबाव में नहीं आता। भारत अमेरिका, रूस, यूरोपीय देशों, खाड़ी क्षेत्र और एशियाई देशों सभी के साथ स्वतंत्र रणनीतिक साझेदारी बनाए रखता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 04, 2025, 01:50 IST
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