कार सेफ्टी के लिए बढ़ी समग्र बीमा की मांग: सिर्फ थर्ड-पार्टी कवर से आधी सुरक्षा, जोखिम बना भारी
रमेश ने जीएसटी रियायत का लाभ उठाकर नई कार खरीदी। जब बीमा लेने की बात आई, तब नियमों को पूरा करने के लिए, सिर्फ वही बीमा लिया, जो कानूनी रूप से अनिवार्य था-यानी सस्ता थर्ड पार्टी बीमा। एक दिन रमेश की कार आगे चल रही दूसरी कार से टकरा गई। दोनों कार को अच्छा-खासा नुकसान हुआ। रमेश की बीमा कंपनी ने दूसरी कार के नुकसान की भरपाई तो कर दी, लेकिन रमेश को अपनी कार की मरम्मत का खर्च खुद उठाना पड़ा। भारत में ज्यादातर कार मालिक वर्षोंसे थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस लेते आए हैं, क्योंकि यह अनिवार्य और सस्ता हैलेकिन इसमें एक पेच है, यह केवल दूसरों को हुए नुकसान को ही कवर करता है, जिससे आपकी अपनी कार असुरक्षित रह जाती है। सड़कों पर बढ़ते वाहनों, हर साल होने वाली लाखों दुर्घटनाओं, कारों की ऊंची कीमत, चोरी और तोड़-फोड़ के डर के अलावा हर साल जलवायु और प्राकृतिक आपदाओं के कारण अब नए कार मालिक कॉम्प्रिहेंसिव कार इंश्योरेंस की ओर समझदारी से रुख कर रहे हैं, क्योंकि दुर्घटना, बाढ़ या चोरी जैसी अप्रत्याशित घटना में कोई भी अपनी जेब को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है। 3+3 प्लान का नया ट्रेंड सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 01 सितंबर, 2018 से सभी नई कारों के लिए तीन साल का मल्टी-ईयर थर्ड पार्टी कार बीमा अनिवार्य है। थर्ड पार्टी बीमा के साथ ही अब मल्टी-ईयर ओन्ड डैमेज बीमा खरीदने का ट्रेंड रफ्तार पकड़ रहा है। मल्टी-ईयर कार इंश्योरेंस पॉलिसी से प्रीमियम में काफी बचत होती है। जब कोई ग्राहक तीन साल की पॉलिसी खरीदता है, तो प्रीमियम दर आज की कीमत पर लॉक हो जाती है। यह उन्हें महंगाई या बढ़ती मरम्मत लागत के कारण होने वाली वार्षिक प्रीमियम बढ़ोतरी से बचाता है। इसे उदाहरण से समझते हैं: एक साल के लिए कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस का प्रीमियम =18,000 रुपये 03 साल तक रिन्यू कराया तो = 54,000 रुपये 10% छूट के साथ प्रीमियम = 48,600 रुपये कुल बचत = 5,400 रुपये मल्टी-ईयर पॉलिसी पहली बार कार खरीदने वालों, रिस्क से बचने वालों और सुविधा व अनुपालन को प्राथमिकता देने वालों के लिए सबसे उपयुक्त है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 08, 2025, 05:12 IST
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