IMF की चेतावनी: फट सकता है एआई का बुलबुला, आ सकती है डॉट-कॉम जैसी मंदी, एआई का बेवजह प्रचार बनेगा कारण
मौजूदा समय में पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के वजह से हलचल है। कई टेक कंपनियों का दावा है कि है एआई कई कामों में इंसानों की जगह ले सकता है और कई सेक्टर्स में इसका असर भी दिखने लगा है। इसी बीच IMF ने एआई को लेकर ऐसी भविष्यवाणी की है जिससे इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, आईएमएफ (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गोरिंचास ने चेतावनी दी है कि अमेरिका में चल रहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बूम जल्द ही डॉटकॉम बुलबुले जैसा फट सकता है। हालांकि, उनका मानना है कि इस बार स्थिति 2000 जैसी नहीं होगी और यह वैश्विक वित्तीय संकट का रूप नहीं लेगी। डॉटकॉम युग से मिलती-जुलती तस्वीर गोरिंचास के अनुसार, जैसे 1990 के दशक के अंत में इंटरनेट कंपनियों के शेयरों के दाम आसमान छूने लगे थे, वैसे ही अब AI निवेश ने स्टॉक वैल्यूएशन और संपत्ति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। कंपनियां एआई की क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही हैं, जिससे मार्केट में बेवजह हाइप बन गई है। लेकिन, नई तकनीक से उम्मीदें जितनी बड़ी हैं, नतीजे तुरंत नहीं मिल सकते, जिससे बाजार में गिरावट संभव है। IMF मीटिंग में गोरिंचास ने बताया कि यह निवेश किसी कर्ज से नहीं, बल्कि नकद से समृद्ध टेक कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। उनका मानना है कि अगर मार्केट में करेक्शन आता है, तो शेयरधारकों को नुकसान हो सकता है, लेकिन इसका असर बैंकिंग सिस्टम पर नहीं पड़ेगा। अब तक नहीं दिखी रही लाभ की उम्मीद गोरिंचास के मुताबिक, कंपनियां AI चिप्स, डेटा सेंटर और इंफ्रास्ट्रक्चर में अरबों डॉलर झोंक रही हैं, लेकिन अभी तक इसका वास्तविक आर्थिक फायदा नजर नहीं आया है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि जैसे 1990 के दशक के इंटरनेट स्टॉक्स का वैल्यूएशन वास्तविक ग्रोथ पर आधारित नहीं था, उसी तरह AI निवेश का असर भी समय लेगा। डॉट-कॉम की तुलना में छोटा पैमाना IMF के आंकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक अमेरिका के GDP का केवल 0.4% हिस्सा ही AI निवेश में गया है, जबकि 1995 से 2000 के बीच डॉट-कॉम निवेश 1.2% तक पहुंच गया था। इसका मतलब यह है कि मौजूदा एआई बूम का पैमाना डॉट-कॉम से अपेक्षाकृत छोटा है। गोरिंचास ने कहा कि हालांकि निवेश छोटा होने की वजह से एआई का वित्तीय स्थिरता पर सीधा असर सीमित रहेगा, लेकिन अगर AI बबल फूटता है तो निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा सकता है, जिससे अन्य परिसंपत्तियों की कीमतों में बदलाव आ सकता है। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, AI निवेश ने अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिलहाल संभाला हुआ है, लेकिन इसके साथ ही यह मांग और महंगाई भी बढ़ा रहा है। गोरिंचास के अनुसार, 2025 में अमेरिका की उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर 2.7% और 2026 में 2.4% रहने का अनुमान है, जो फेडरल रिजर्व के 2% लक्ष्य से ज्यादा है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 15, 2025, 11:59 IST
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