चिंताजनक: दिल की बीमारियों से अब युवाओं की हो रही सबसे ज्यादा मौत, देश के पांच बड़े अस्पतालों पर पहला अध्ययन

दिल की बीमारी अब सिर्फ शहरों, पुरुषों और बुजुर्गों की समस्या नहीं रही बल्कि यह युवाओं में भी तेजी से फैल रही है। भारतीय हार्ट फेल्योर रजिस्ट्री पर आधारित एक अध्ययन के मुताबिक, अस्पताल में लंबे समय तक रुकने के बाद भी हार्ट अटैक से युवाओं की मौत सबसे ज्यादा हो रही है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पहली बार राष्ट्रीय रजिस्ट्री के जरिए देश के पांच अलग अलग राज्य कर्नाटक, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु के बड़े अस्पतालों में कराया जिसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) ने प्रकाशित किया है। इस अध्ययन ने यह साफ कर दिया है कि 90 दिनों के भीतर मृत्यु दर युवा मरीजों में 12.6%, मध्यम आयु वालों में 13.4% और वृद्धों में 19% रही। यह दिखाता है कि लंबी अवधि में वृद्धों पर बीमारी का असर कहीं ज्यादा गंभीर है। गौर करने वाली बात है कि स्वस्थ और कम सह-बीमारियों के युवा मरीज अस्पताल में लंबा समय बिता रहे हैं। इसके बाद भी इनकी मृत्यु दर व्यस्क और बुजुर्गों की तुलना में अधिक है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कि इसका कारण देर से अस्पताल पहुंचना और सही समय पर इलाज न मिलना हो सकता है। ये भी पढ़ें:Blood Moon Experience:खगोल विज्ञान की नजर से चंद्रग्रहण 2025, दिल्ली से कर्नाटक तक साक्षी बने लोग; बताए अनुभव बीमारी के कारण एक जैसे यह अध्ययन जून 2018 से मार्च 2022 तक पांच शहरों के अस्पतालों में किया। इसमें 6,018 मरीजों को शामिल किया जिनमें 16 से 40 वर्ष के 10.2% युवा, 41 से 64 साल के 53.3% वयस्क और 65 वर्ष या उससे ऊपर के 36.5% बुजुर्ग शामिल रहे। अध्ययन में सामने आया कि 52.4% युवा, 75.1% वयस्क और 76.9% बुजुर्गों में हार्ट फेल्योर का सबसे बड़ा कारण इस्केमिक हार्ट डिजीज पाया गया। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, दिल की धमनियों में ब्लॉकेज और उससे जुड़ी जटिलताएं हार्ट फेल्योर के पीछे प्रमुख कारक बन जाती हैं। युवाओं की अलग चुनौती आईसीएमआर के मुताबिक, युवा मरीज अक्सर गंभीर लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचते हैं। उनकी जीवनशैली (धूम्रपान, मोटापा, अस्वस्थ खानपान) और समय पर जांच न कराना, बीमारी को बढ़ा देते हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि इन मरीजों को औसतन अस्पताल में ज्यादा दिन भर्ती रहना पड़ा और उनमें से कई को आईसीयू की जरूरत पड़ी। वहीं, बुजुर्ग मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती सह-रुग्णताएं यानी मधुमेह, रक्तचाप, किडनी की समस्या और अन्य बीमारियां उनके उपचार को और जटिल बना देती हैं। इस वजह से उनकी मृत्यु दर 90 दिनों के भीतर सबसे अधिक (19%) रही। ये भी पढ़ें:Seat Ka Samikaran:एक चेहरे को बेलागंज ने आठ बार चुना और किसी को नहीं दिया दूसरा मौका, ऐसा है चुनावी इतिहास शहरों से ज्यादा गांव में मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीज अक्सर देर से अस्पताल पहुंचते हैं, जिसके चलते उनकी हालत गंभीर हो जाती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हार्ट फेल्योर की पहचान और इलाज की सुविधा लगभग नगण्य है। दवाओं की नियमित उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 06:52 IST
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