IVF: कर्ज में डूब रहे परिवार, सरकारी अस्पताल भी सस्ते नहीं, आईसीएमआर ने जारी की रिपोर्ट
भारत में बांझपन का इलाज और विशेष रूप से आईवीएफ प्रक्रिया आम परिवारों की पहुंच से दूर है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नई राष्ट्रीय रिपोर्ट बताती है कि आईवीएफ का खर्च इतना अधिक है कि ज्यादातर दंपती इलाज के चक्कर में कर्ज में डूब रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आईवीएफ कराने वाले 88% दंपती कैटस्ट्रॉफिक हेल्थ एक्सपेंडिचर यानी ऐसा भारी इलाज का खर्च जो परिवार की सालाना कमाई का बड़ा हिस्सा खा रहा है और उन्हें कर्ज में धकेल रहा है। ये परिवार अपनी सालाना कुल खपत का 10% से अधिक कर्ज चुकाने को मजबूर हैं। दिल्ली, चंडीगढ़, त्रिवेंद्रम, वर्धा और चेन्नई के अस्पतालों में 148 आईवीएफ और 500 सामान्य बांझपन मरीजों पर आईसीएमआर ने अध्ययन किया है जिसके जरिए सरकार से आईवीएफ उपचार को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल करने की सिफारिश की है। आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की सिफारिश आईसीएमआर की रिपोर्ट में आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में आईवीएफ को शामिल करने की सिफारिश की गई है, ताकि गरीब परिवार भी इलाज करा सकें। सरकारी अस्पताल में 1,10,104 एक चरण में खर्च आईसीएमआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में एक परिवार आईवीएफ का विकल्प चुनता है तो उसके लिए सरकारी अस्पताल भी सस्ता नहीं पड़ता। सरकारी अस्पताल में आईवीएफ के महज एक चरण पर औसतन 1,10,104 रुपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि निजी अस्पताल में यह खर्च 2,37,851 रुपये आता है। इस आधार पर प्रति दंपती औसत कुल खर्च लगभग1.62 लाख तक पहुंच रहा है। इसमें दवाएं, इंजेक्शन, जांच, अस्पताल शुल्क, ओवम पिक-अप और एम्ब्रियो ट्रांसफर जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। ये भी पढ़ें:Menopause: मेनोपॉज के इलाज वाली हार्मोन थेरेपी पर जोखिम का आकलन गलत, विज्ञान ने तोड़ा एचआरटी को लेकर बना मिथक दर्द, तनाव और चिंता: मनोवैज्ञानिक असर रिपोर्ट में आईवीएफ प्रक्रिया से गुजर रहीं महिलाओं पर मानसिक और शारीरिक दबाव भी स्पष्ट दिखा। 40% महिलाओं ने गंभीर दर्द या शारीरिक असहजता की शिकायत की जबकि 74% महिलाओं ने तनाव और अवसाद महसूस किया। इसके अलावा पुरुष भी इससे अछूते नहीं रहे और 35% पुरुषों ने चिंता या मानसिक दबाव की बात कही। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की डॉ. सीमा बताती हैं कि आईवीएफ का हर चरण हार्मोन इंजेक्शन से लेकर एम्ब्रियो ट्रांसफर तक लंबी प्रतीक्षा, असफलता के डर और आर्थिक बोझ के कारण मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 04, 2025, 02:37 IST
IVF: कर्ज में डूब रहे परिवार, सरकारी अस्पताल भी सस्ते नहीं, आईसीएमआर ने जारी की रिपोर्ट #IndiaNews #Icmr #Ivf #India #IcmrReport #IvfTreatment #SubahSamachar
