जब कोई बात बिगड़ जाए: छोटी-छोटी बातों पर क्रोध न करें… आलोचनाओं और निंदा को दिल पर न लें
कल्पना कीजिए कि एक चमकदार गुब्बारे में सूई चुभो दी जाए, तो क्या होगा इससे वह या तो फट पड़ेगा या फिर हवा निकल जाएगी। ऐसा इन्सानों के साथ भी होता है। एक सोशल मीडिया क्रिएटर ने बताया कि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) यानी ध्यान आकर्षित न कर पाने से उत्पन्न विकार से पीड़ित व्यक्ति के लिए अस्वीकृति ऐसी हो सकती है, मानो भावनाओं का विस्फोट हो गया। इस क्लिप को लाखों लाइक्स मिले हैं। यह रिजेक्शन सेंसिटिव डाइस्फोरिया (आरएसडी) यानी अस्वीकृति से उपजी बेचैनी से संबंधित हजारों पोस्टों में से एक है। इन शब्दों का उपयोग चिकित्सकों द्वारा भी बहुत कम किया जाता है, पर ये आजकल खूब वायरल हो रहे हैं। एडीएचडी से पीड़ित 24 वर्षीय शिक्षिका एरिन राइडर ने बताया कि हाल ही में उनके प्रेमी ने सप्ताह भर काम करने के बाद अपनी योजना स्थगित कर दी। वह कहती हैं कि इससे उन्हें काफी गुस्सा आया कि उसने पहले से बने कार्यक्रम को रद्द क्यों कर दिया। वह कहती हैं कि थोड़ी देर के लिए तो वह पगला-सी गई थीं। हालांकि, बाद में उन्हें एहसास हुआ कि उनकी प्रतिक्रिया गलत थी। एडीएचडी का उपचार करने वाले मनोवैज्ञानिक डॉ. बिल डॉडसन ने आरएसडी शब्द को लोकप्रिय बनाया है। वह कहते हैं कि यह शब्द उन्होंने नहीं गढ़ा, बल्कि अवसाद पर उपलब्ध पुराने साहित्य से उधार लिया है। उनके अनुसार, अस्वीकृति संवेदनशीलता कथित आलोचना पर तीव्र प्रतिक्रिया देना है। मनोचिकित्सा और व्यवहार न्यूरोसाइंस विशेषज्ञ डॉ. एरिक मेसियस कहते हैं कि आरएसडी दिमागी और व्यक्तित्व संबंधी विकारों से जुड़ा है। इससे पीड़ित व्यक्ति न केवल कथित आलोचना के प्रति संवेदनशील होता है, बल्कि कई मामलों में खुद को कमतर भी समझता है। यदि ऐसे व्यक्ति को चिढ़ाया जाए, मजाक उड़ाया जाए, उसकी बात काट दी जाए, या फिर कुछ अप्रिय बोल दिया जाए, तो उसका मूड तुरंत बदल जाएगा और वह या तो गुस्सा करेगा या उदासी में डूब जाएगा। यहीं से डिस्फोरिया शब्द आता है, जिसका अर्थ है : बेचैन या असंतुष्ट महसूस करने की स्थिति। मनोवैज्ञानिक डॉ. लिंडसे ब्लास कहती हैं कि आलोचना किसी-किसी के लिए बहुत दर्दनाक होती है। डॉ. डॉडसन कहते हैं एडीएचडी पीड़ितों के लिए कोई मान्य दवा नहीं है, उन्हें अवसाद की ही दवा दी जाती है। एक्सपोजर थेरेपी के तहत चिकित्सक धीरे-धीरे रोगी के आत्मविश्वास को जगाते हैं, ताकि आलोचना या अन्य किसी बात से उपजी उदासी या हीन भावना को दूर किया जा सके। उन्हें प्रेरित किया जाता है कि छोटी-छोटी बातों पर क्रोध न करें और जब जिंदगी में कोई बात बिगड़ जाए, तो उसे दिल पर न लें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 27, 2025, 08:03 IST
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