हाईकोर्ट ने जताई चिंता: नियमित चपरासी से भी कम वेतन पा रहे अनुबंध शिक्षक, 6 सप्ताह में करें नियमित
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब विश्वविद्यालय को 12 साल से अधिक समय से अनुबंध पर कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों को 6 सप्ताह के भीतर नियमित करने का आदेश दिया है। हालात पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने कहा कि स्थिति यह है कि कुछ अनुबंध शिक्षक नियमित चपरासी से भी कम वेतन पा रहे हैं। याचिका दाखिल करते हुए अनुबंध शिक्षक निधि व अन्य ने पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे लंबे समय से अनुबंध पर काम कर रहे हैं और उनकी सेवाएं नियमित करने के बजाय विश्वविद्यालय नए विज्ञापन के माध्यम से इन पदों को भरने जा रहा है। याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि याची शिक्षक स्वीकृत पदों पर विधिवत चयन प्रक्रिया से नियुक्त किए गए थे, वे बैकडोर एंट्री नहीं थे। याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तय मानकों को पूरा करते हैं। कोर्ट ने पंजाब विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 6 सप्ताह के भीतर नियमित किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो वे निर्धारित तिथि से नियमित माने जाएंगे। जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा कि शिक्षा सहित हर विभाग में अनुबंध आधार पर नियुक्तियों का चलन बढ़ता जा रहा है, जबकि शिक्षा विभाग चरित्र और देश निर्माण का आधार है। अनुबंध आधार पर कार्यरत कई शिक्षकों को नियमित चपरासियों से भी कम वेतन मिल रहा है। कोर्ट ने कहा कि जनता के पैसे का इस्तेमाल नियमित नियुक्तियां करने और नियमित वेतन-मान देने के बजाय सब्सिडी के लिए किया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि आदर्श नियोक्ता होने के नाते राज्य अपने नागरिकों का शोषण नहीं कर सकता और न ही बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का लाभ उठा सकता है। किसी कर्मचारी को हमेशा के लिए न्यूनतम वेतन पर नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को यह भी सलाह दी कि 10 साल से अधिक सेवा पूरी कर चुके अन्य अनुबंध शिक्षकों के दावों पर भी विचार किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय को चुनौती दिए गए विज्ञापन के माध्यम से अन्य पद भरने की स्वतंत्रता होगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 12, 2025, 10:50 IST
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