हाईकोर्ट: विदेशी लॉ फर्म नियम दोषपूर्ण, समीक्षा जरूरी

याचिकाकर्ता बोले: बीसीआई नियम अस्पष्ट और अन्यायपूर्णअनुशासनात्मक प्रक्रिया में भ्रम और पक्षपात का आरोपअविमुक्त दार ने नियमों की समीक्षा की मांग कीसंवाद न्यूज एजेंसीनई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के उन नियमों पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जो देश में विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों के पंजीकरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े हैं। अदालत ने कहा कि 2022 में बनाए गए ये नियम दोषपूर्ण हैं। इन पर गहन अध्ययन की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, यदि बीसीआई किसी फर्म या वकील के खिलाफ जांच शुरू करता है, तो उसे संबंधित पक्ष को सुनवाई का अवसर, दस्तावेज देखने और जवाब देने का अधिकार देना चाहिए। अदालत ने कहा कि यदि आप केवल आरोपों की प्रारंभिक जांच कर रहे हैं, तो उसके बाद पूरी जांच शुरू होनी चाहिए। बिना सुनवाई दिए प्रैक्टिस सर्टिफिकेट निलंबित या जब्त करना न्यायसंगत नहीं है। यह मामला अविमुक्त दार और अन्य की याचिका से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि बीसीआई के नियम अस्पष्ट हैं और उनके तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया भ्रम और अन्याय पैदा कर रही है।बीसीआई ने 5 अगस्त को याचिकाकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस भेजावरिष्ठ वकील ने अदालत में दलील दी कि बीसीआई ने 5 अगस्त को याचिकाकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस भेजा, लेकिन जिन दस्तावेजों के आधार पर नोटिस जारी किया गया था, वे साझा ही नहीं किए गए। इसके बावजूद बीसीआई ने 4 नवंबर को उन्हें 16 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दे दिया। सिब्बल ने कहा कि बिना दस्तावेज दिए जवाब दाखिल करने को कहना, हमारे क्लाइंट के बचाव के अधिकार का हनन है। प्रारंभिक जांच जैसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहींमुख्य न्यायाधीश ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि इन नियमों में प्रारंभिक जांच जैसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। अगर केवल आरोपों के गुण-दोष का आकलन हो रहा है, तो दंड कैसे लगाया जा सकता है ये नियम वास्तव में दोषपूर्ण हैं। अदालत ने बीसीआई से नियमों पर स्पष्टीकरण और निर्देश लेने को कहा है और इस बीच 16 नवंबर को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ होने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई स्थगित कर दी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 13, 2025, 19:29 IST
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