GST: 'जरूरी चीजों पर 'स्वास्थ्य व राष्ट्रीय सुरक्षा सेस' नहीं', राज्यों को हिस्सेदारी पर ये बोलीं वित्त मंत्री

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में साफ किया कि प्रस्तावित 'स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर या सेस' केवल पान मसाला जैसी 'डिमैरिट' वस्तुओं (हानिकारक उत्पादों) पर लगाया जाएगा। उन्होंने देश के लोगों को आश्वस्त किया कि आटा-दाल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर यह उपकर नहीं लगेगा। साथ ही, इस नए उपकर से होने वाली कमाई को स्वास्थ्य योजनाओं के लिए राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। वित्त मंत्री ने 'स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025' को पेश करते हुए इसके प्रमुख पहलुओं और सरकार की मंशा को विस्तार से समझाया। क्यों लाया गया यह नया बिल निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व के दो प्रमुख क्षेत्रों-स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा- के लिए एक 'समर्पित और निश्चित संसाधन प्रवाह' तैयार करना है। उन्होंने कहा, "यह एक उपकर (Cess) है और इसे किसी भी आवश्यक वस्तु पर नहीं लगाया गया है। इसका उद्देश्य उन 'हानिकारक वस्तुओं' पर टैक्स लगाना है जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। हम इन उत्पादों पर ऐसी लागत थोपना चाहते हैं जो चीजों गैरकिफायती बनाए, ताकि लोग इनका उपयोग कम इस्तेमाल करें।" पान मसाला पर टैक्स का नया गणित वित्त मंत्री ने पान मसाला पर लगने वाले टैक्स के ढांचे को स्पष्ट करते हुए कहा कि जीएसटी पान मसाला पर उसकी खपत के आधार पर जीएसटी के तहत अधिकतम 40 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। इसके अलावे प्रस्तावित 'स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर' जीएसटी के ऊपर अलग से देय होगा। चूंकि जीएसटी खपत के स्तर पर लगाया जाता है और पान मसाला पर उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जा सकता, इसलिए यह नया उपकर पान मसाला बनाने वाली फैक्ट्रियों की मशीनों की 'उत्पादन क्षमता' पर लगाया जाएगा। नए प्रावधानो के अनुसार, हर फैक्ट्री के लिए उपकर की देनदारी उसकी उत्पादन क्षमता के आधार पर अलग-अलग होगी। राज्यों को फायदा क्या मिलेगा वित्त मंत्री ने जोर दिया कि इस उपकर से केंद्र सरकार को जो भी राजस्व मिलेगा, उसका एक हिस्सा राज्यों को भी दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि यह राशि स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों या अन्य स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं-गतिविधियों के जरिए राज्यों से साझा की जाएगी। जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह नई व्यवस्था यह विधायी बदलाव ऐसे समय में किए जा रहे हैं जब जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि समाप्त होने वाली है। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू करते समय राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए 5 साल (जून 2022 तक) के लिए क्षतिपूर्ति उपकर का प्रावधान किया गया था। कोविड काल में केंद्र की ओर से लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए इसका विस्तार मार्च 2026 तक के लिए कर दिया गया। यह कर्ज अदायगी अब अगले कुछ हफ्तों में पूरी होने वाली है। वर्तमान में पान मसाला, तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर 28 प्रतिशत जीएसटी और विभिन्न दरों पर क्षतिपूर्ति उपकर लगता है। क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के साथ, जीएसटी की दर बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, तम्बाकू पर उत्पाद शुल्क और पान मसाला पर स्वास्थ्य व राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर लगाया जाएगा। बुधवार को लोकसभा ने केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 में संशोधन करते हुए एक विधेयक पारित किया, जिसके तहत तंबाकू पर 40 प्रतिशत जीएसटी के अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा। तंबाकू पर उत्पाद शुल्क बिल और पान मसाला पर उपकर बिल के नाम से ये दोनों विधेयक ऐसे समय में लाए गए हैं जब जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि समाप्त होने वाली है और ऋण का भुगतान अगले कुछ सप्ताह में पूरा हो जाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 04, 2025, 20:19 IST
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