Harivanshrai Bachchan Poetry: क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?

क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी क्या करूँ मैं दु:खी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई, मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा, रीति दोनों ने निभाई, किंतु इस आभार का अब हो उठा है बोझ भारी; क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी क्या करूँ एक भी उच्छ्वास मेरा हो सका किस दिन तुम्हारा उस नयन से बह सकी कब इस नयन की अश्रु-धारा सत्य को मूँदे रहेगी शब्द की कब तक पिटारी क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी क्या करूँ

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 18:50 IST
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