26 January: गणतंत्र दिवस पर महावीर प्रसाद 'मधुप' की रचना- प्राची से झाँक रही ऊषा

प्राची से झाँक रही ऊषा, कुंकुम-केशर का थाल लिये। हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ, सुरभित सुमनों की माल लिये॥ गंगा-यमुना की लहरों में, है स्वागत का संगीत नया। गूँजा विहगों के कण्ठों में, है स्वतन्त्रता का गीत नया॥ प्रहरी नगराज विहँसता है, गौरव से उन्नत भाल किये। फहराता दिव्य तिरंगा है, आदर्श विजय-सन्देश लिये॥ गणतन्त्र-आगमन में सबने, मिल कर स्वागत की ठानी है। जड़-चेतन की क्या कहें स्वयं, कर रही प्रकृति अगवानी है॥ कितने कष्टों के बाद हमें, यह आज़ादी का हर्ष मिला। सदियों से पिछड़े भारत को, अपना खोया उत्कर्ष मिला॥

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 25, 2023, 19:46 IST
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