Sitapur News: शासन ने तलब किए टाइल्स खरीद के अभिलेख,जिले में खलबली

सीतापुर। बंद चल रहे खैराबाद पंचायत उद्योग से लगभग साढ़े तीन करोड़ की टाइल्स खरीदने का मामला तूल पकड़ गया है। शासन स्तर से पूरे मामले पर पूछताछ किए जाने के बाद जनपद में तैनात अफसर टाइल्स खरीदने संबंधी पत्रावली खोजने में लग गए हैं। खैराबाद पंचायत उद्योग के तत्कालीन प्रभारी एडीओ पंचायत के पास फाइल होने की जानकारी अफसरों को मिली है। उक्त एडीओ पंचायत एक अन्य मामले में लगभग डेढ़ वर्ष से निलंबित चल रहा है।प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत कंटीजेंसी बजट से वर्ष 2019-20 में एक शासनादेश की आड़ लेकर लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये के टाइल्स खरीद लिए गए थे। आवास योजना के लाभार्थियों के मकान के बाहर उक्त टाइल्स पर लाभार्थी का नाम व अन्य ब्यौरा लिखे जाने का दावा किया गया था। हकीकत में न तो टाइल्स खरीदे जाने का आदेश था और न ही इसके लिए कंटीजेंसी का मद खर्च करने की व्यवस्था थी। हद तो यह कि खरीद भी बंद पड़े खैराबाद पंचायत उद्योग से दिखाई गई थी। एक टाइल्स 305 रुपये में खरीदा गया था। पूरे मामले का खुलासा अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में किया था। इसके बाद जिले से लेकर शासन स्तर तक पर खलबली मच गई। शासन से जनपद के अलग अलग अफसरों से पूरे मामले की जानकारी की गई। इसी दौरान जिला पंचायत राज अधिकारी मनोज कुमार से भी शासन से जानकारी ली तो यहां पंचायत उद्योग से खरीद संबंधी अभिलेख तलाशने की कवायद शुरू हुई। विभागीय अफसरों का दावा है कि टाइल्स खरीद के समय खैराबाद पंचायत उद्योग का प्रभार(चार्ज) एडीओ पंचायत संजय सिंह के पास था। बाद में उन्हें पंचायत उद्योग से ही जुड़े दूसरे प्रकरण में निलंबित कर दिया गया था। संजय सिंह के मुताबिक वह लगभग डेढ़ वर्ष से निलंबित चल रहे हैं।डेढ़ वर्ष पहले खैराबाद पंचायत उद्योग के प्रभारी एडीओ संजय सिंह को निलंबित किया गया था। इसके बाद किसी भी कर्मचारी को पंचायत उद्योग का प्रभार नहीं दिया गया । जिला पंचायत राज अधिकारी बताते हैं की पद लंबे समय से रिक्त है । दरअसल हकीकत यह है कि पंचायत उद्योग सिर्फ कागजों में ही दौड़ रहा था और इसकी आड़ में पहले भी कई खेल होते रहे हैं । यही वजह है कि संजय सिंह के निलंबन के बाद किसी कर्मचारी ने भी पंचायत उद्योग का प्रभार लेने में रुचि नहीं दिखाई।ग्राम्य विकास अभिकरण में तैनात एक जिम्मेदार कर्मचारी अनौपचारिक बातचीत में बहुत कुछ बताते हैं। उनका दावा है कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तो तत्कालीन परियोजना निदेशक ही नहीं और भी कई बड़े अफसर लपेटे में आएंगे । इतना ही नहीं बड़ी संख्या में प्रधान और सचिव भी कार्रवाई की जद में आ जाएंगे। एक अधिकारी भी अनौपचारिक बातचीत में कहते हैं कि ऊपर के आदेशों पर टाइल्स की खरीद की गई थी लेकिन टाइल्स लगे कहां, यह कोई नहीं जानता। अधिकांश प्रधानों को भी यह नहीं पता चल पाया था कि उनके गांव के लाभार्थियों के यहां पट्टिका लगाने के लिए टाइल्स खरीदे गए हैं क्योंकि हर जगह लाभार्थी का नाम पेंट से लिखा गया था।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 13, 2023, 23:39 IST
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