Disinvestment Target: लगातार चौथी बार विनिवेश लक्ष्य चूक सकती है सरकार, ये हैं चुनौतियां

निजीकरण को बड़ा गेमचेंजर मानने वाली सरकार लगातार चौथी बार विनिवेश लक्ष्य से चूक सकती है। विनिवेश के मोर्चे पर प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक हालात के अलावा निवेशकों की सुस्त प्रतिक्रिया, कर्मचारी संघों के आंदोलन और कानूनी बाधाओं जैसी अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इससे सरकार कई कंपनियों के निजीकरण में सफल रही है, जबकि कई कंपनियों के मोर्चे पर असफलता हाथ लगी है। दरअसल, सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में विनिवेश से 65,000 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, अब तक वह सिर्फ 31,106.40 करोड़ रुपये ही जुटा सकी है। इसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर जुटाई गई 21,000 करोड़ की रकम भी शामिल है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष खत्म होने तक कई कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना तैयार है। आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया चल रही है। एचएलएल लाइफकेयर को लेकर भी प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है। 31,106 करोड़ ही जुटा सकी है सरकार,65,000 करोड़ है लक्ष्य इनमें मिली सफतला सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक ओएनजीसी, एलआईसी, पीपीएल, गेल, एनआईएनएल, आईआरसीटीसी और अन्य में हिस्सेदारी बेचकर 31,106.40 करोड़ जुटा चुकी है। टालनी पड़ी योजना बीपीसीएल और सेल भद्रावती स्टील प्लांट में रणनीतिक विनिवेश को टालना पड़ा। सीईएल में रणनीतिक विनिवेश को योजना टल चुकी है। पवन हंस की बिक्री भी अधर में है क्योंकि बोलीदाताओं के खिलाफ एनसीएलटी में मामला लंबित है। 2019-20 से पूरा नहीं हुआ लक्ष्य वित्त वर्ष   विनिवेश लक्ष्य     जुटाई रकम 2019-20     1.05 लाख करोड़    50,298.64 2020-21     2.10 लाख करोड़    32,845.18 2021-22     1.75 लाख करोड़    13,530.67 2022-23     65,000 करोड़      31,106.40 (सोर्स : दीपम, जुटाई रकम करोड़ में) सुझाव : विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष के लिए व्यावहारिक विनिवेश लक्ष्य बनाना चाहिए। यह लक्ष्य 40,000 करोड़ रुपये का हो सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 29, 2022, 06:45 IST
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