Crypto: क्रिप्टो घोटालेबाजों पर ईडी का शिकंजा, सरकार ने लोकसभा में बताया- 4190 करोड़ जब्त और एक भगोड़ घोषित

सरकार ने ईडी की कार्रवाई पर लोकसभा में सोमवार को आंकड़े दिए। सरकार ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने 4,189.89 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की। इन मामलों में एक आरोपी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी भी घोषित किया गया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। सरकार ने सोमवार कोलोकसभा में बताया कि ईडी ने अब तक क्रिप्टो धोखाधड़ी से जुड़े कई मामलों की गहराई से जांच की है। इन जांचों के दौरान न केवल हजारों करोड़ की संपत्ति जब्त या फ्रीज की गई, बल्कि 29 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। इसके अलावा, जांच एजेंसी ने 22 आरोप पत्र भी दाखिल किए। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि सरकार वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के दुरुपयोग को लेकर कितनी गंभीर है, विशेष रूप से तब जब हाल ही में वीडीए को पीएमएलए के दायरे में लाया गया। प्रवर्तन निदेशालय के अलावा आयकर विभाग भी क्रिप्टो निवेशकों पर पैनी नजर बनाए हुए है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लेनदेन से जुड़ी 888.82 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया। विभाग ने अनुपालन को सख्ती से लागू करने के लिए उन करदाताओं को भी रडार पर लिया है जिन्होंने अपने आयकर रिटर्न में 'शेड्यूल वीडीए' के तहत सूचना नहीं दी। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि ऐसे 44,057 करदाताओं को सीबीडीटी की ओर से नोटिस भेजे गए हैं, जिन्होंने वीडीए में निवेश या व्यापार तो किया, लेकिन उसकी रिपोर्टिंग नहीं की। संसद में सरकार ने साफ किया कि भारत में फिलहाल क्रिप्टो एसेट्स या वर्चुअल डिजिटल एसेट्स अनरेगुलेटेड हैं। हालांकि, सरकार वीडीए से जुड़े लेनदेन की निगरानी और जांच को मजबूत करने के लिए क्षमता बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। पंकज चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि क्रिप्टो एसेट्स की प्रकृति सीमा रहित है, इसलिए केवल घरेलू स्तर पर नियम बनाना पर्याप्त भी नहीं होगा। क्रिप्टो पर नियामकीय ढांचे के भविष्य पर बात करते हुए वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि नियामकीय आर्बिट्रेज को रोकने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता है। नियामकीय आर्बिट्रेज एक ऐसी रणनीति है, जिसका इस्तेमाल कंपनियां (खासकर, वित्तीय और क्रिप्टो कंपनियां) नियमों की खामियों, दो देशों के कानूनों में अंतर, या किसी विशेष नियम के न होने का फायदा उठाने के लिए करती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मुनाफा बढ़ाना, टैक्स बचाना या कड़े कानूनों के पालन से बचना होता है। क्रिप्टो के लिए भविष्य में को भी नियम बनाने से पहले जोखिमों और लाभों के मूल्यांकन के साथ-साथ एक सामान्य वर्गीकरण करना और मानकों पर महत्वपूर्ण वैश्विक सहयोग जरूरी है। सरकार के इन बयानों से जाहिर है कि भारत क्रिप्टो के मामले में जल्दबाजी में फैसले लेने के बजाय वैश्विक आम सहमति के साथ आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 08, 2025, 11:30 IST
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