Bihar Election: गोपालगंज बिहार चुनाव में क्या रुख अपनाएगा? जदयू-भाजपा-राजद बराबर रहेंगे या बदल रहा समीकरण

गोपालगंज हमेशा से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का गढ़ माना जाता रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी यहां की छह विधानसभाओं में से चार सीटों पर एनडीए का कब्जा हुआ, जबकि दो सीटें राजद के खाते में गईं। लोकसभा चुनाव में भी यहां की सीट और यहां के विधानसभाओं से जुड़ने वाली सीटों पर एनडीए की ही जीत हुई। लेकिन, इस बार समीकरण कुछ फेरबदल नजर आ रहा है। दोनों गठबंधन ने इस बार सामान्य कोटि के नेताओं पर भरोसा किए हैं। इसके अलावा कई जगह अलग-अलग उतरे दल भी चुनाव को रोचक बना रहे हैं। गोपालंगज की छह विधानसभा सीटों का पिछला और संभावित समीकरण कैसा है, आगे पढ़ें। बैकुंठपुर : भाजपा हारी तो जदयू को मौका, पिछली बार के निर्दलीय तीर चला रहे यहां वर्तमान विधायक प्रेम शंकर यादव राजद के सिंबल पर चुनाव जीते थे, जिन्हें 2020 के चुनाव में 67,807 मत मिले थे। वहीं निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मिथिलेश तिवारी को 56,694 मत मिले थे। 11,113 वोटों से प्रेम शंकर यादव ने जीत दर्ज की थी। इस बार का समीकरण कुछ बदलता नजर आ रहा है, जिसका कारण यह है कि राजपूत जाति के निर्दलीय उम्मीदवार मंजीत सिंह, जो विगत चुनाव में 43,000 वोट पाए थे, वे इस बार बरौली विधानसभा सीट से जदयू के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए यहां की लड़ाई काफी रोचक नजर आ रही है। बरौली : भितरघात की आशंका के कारण रोचक हो गया चुनाव भाजपा उम्मीदवार व पूर्व मंत्री रामप्रवेश राय ने 81,956 वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के रियाजुल हक राजू को 14,155 मतों से हराया था। रियाजुल हक राजू को 67,801 मत मिले थे। दिलचस्प बात यह है कि दोनों तरफ इस बार के चुनाव में उम्मीदवार बदले हुए हैं। भाजपा ने अपनी जीती हुई यह सीट जदयू को दे दी है। वर्तमान विधायक राम प्रवेश राय बेटिकट रह गए। जदयू से मंजीत सिंह को टिकट दिया गया।दूसरी तरफ राजद से रियाजुल हक राजू का टिकट काटकर पार्टी ने अपने जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। दोनों तरफ के प्रत्याशियों के बदले जाने से भितरघात की आशंका के बीच चुनाव रोचक हो गया है। कुचायकोट : पप्पू पांडेय मारेंगे छक्का या नए दल कर देंगे खेल यहां से लगातार पांच बार के विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय को जदयू ने फिर मैदान में उतारा है। वहीं महागठबंधन ने कांग्रेस के खाते में गई सीट से हरि नारायण सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है, जो दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर 2020 के चुनाव में पप्पू पांडेय ने 74,359 मत प्राप्त किए थे। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से (अब दिवंगत) काली प्रसाद पांडेय को 53,739 मत प्राप्त हुए थे। 20,620 मतों से पप्पू पांडेय ने जीत दर्ज की थी। यहां बाकी दलों के प्रत्याशी वोटों में कितना उलटफेर कर पाते हैं, यह देखने लायक होगा। भोरे : भाकपा माले ने अंतिम समय में सिम्बल छीन प्रत्याशी बदला यह काफी हॉट सीट है। इससे पूर्व भी यहां जीत-हार का अंतर मामूली था। वर्तमान में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने इस सीट पर जदयू के सिंबल पर जीत दर्ज की थी। उनको 74,067 मत मिले थे। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाकपा माले के जितेंद्र पासवान को 73,605 मत मिले थे। 462 वोटों से सुनील कुमार ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर पिछली बार चिराग पासवान के कारण जदयू परेशान हो गया था। इस बार जदयू की तरफ से सुनील कुमार ही हैं और चिराग पासवान साथ हैं। दूसरी तरफ भाकपा माले ने जितेंद्र पासवान की जगह जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं गया जिले के निवासी धनंजय को मैदान में उतारा है। नामांकन के दौरान जितेंद्र पासवान पर वारंट होने के चलते पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया। इसके बाद भाकपा माले ने अपना सिंबल जितेंद्र पासवान से काटकर धनंजय को सौंप दिया। गोपालगंज : 5 साल में दो विधायक देखे, अब नए चेहरों से चुनेंगे बिहार चुनाव 2020 में यहां से सुभाष सिंह जीते थे। सुभाष सिंह ने तब लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी के चर्चित भाई अनिरूद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव को हराया था। 36 हजार से ज्यादा का अंतर रहा था। वह बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार थे और उस चुनाव में महागठबंधन को तीसरे नंबर पर रखने में कामयाब रहे थे। सुभाष सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी उप चुनाव में उतरीं। इन्हें 70,053 मत मिले थे, वहीं राजद के मोहन प्रसाद को 68,259 मत मिले थे। कुसुम देवी ने मोहन प्रसाद को 1,794 मतों से हराया था। यह अंतर कम था। भाजपा ने इसी को आधार बनाकर कुसुम देवी का टिकट काट दिया, जिसके बाद उनका फफक कर रोता वीडियो भी वायरल हुआ था। एनडीए की तरफ से वर्तमान विधायक कुसुम देवी का टिकट काटकर गोपालगंज जिला परिषद के अध्यक्ष सुभाष सिंह को भाजपा का सिंबल दिया गया है। महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में सीट गई है। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश गर्ग चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी पूरी तैयारी के साथ है।साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव इस बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से अनस सलाम भी चुनाव लड़ रहे हैं। इसके कारण महागठबंधन का गणित बिगड़ता दिख रहा है। हथुआ : वोट काटने वालों पर भारी पड़े थे कुशवाहा, इस बार क्या होगा यहां राजद के राजेश सिंह कुशवाहा ने 86,731 मत प्राप्त कर जदयू के रामसेवक सिंह को 30,527 मतों से हराया था। रामसेवक सिंह को 56,204 मत मिले थे। इस बार यही दोनों उम्मीदवार मैदान में हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की लड़ाई में क्या होता है, क्योंकि वोट काटने वालों के रहते पिछली बार राजेश कुशवाहा बड़े अंतर से जीते थे। इस बार स्वतंत्र रूप से लड़ रहे दल इनका गणित बिगाड़ने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 02, 2025, 15:55 IST
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