Karnal News: प्राध्यापक के पक्ष में छात्राओं का कॉलेज में चार घंटे हंगामा

माई सिटी रिपोर्टर मधुबन (करनाल)। बसताड़ा स्थित राजकीय कन्या कॉलेज में प्राध्यापकों की आपसी गुटबाजी शनिवार को खुलकर सामने आ गई। यहां की सैकड़ों छात्राओं ने अपने एक प्राध्यापक के समर्थन में पढ़ाई छोड़कर कॉलेज में करीब चार घंटे तक हंगामा किया। छात्राओं ने प्राध्यापक को मानसिक रूप से परेशान और उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एक प्राध्यापिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सूचना पर पहुंची पुलिस के हस्तक्षेप से स्टाफ का आपसी समझौता कराया तभी छात्राएं शांत हुईं।घटनाक्रम के अनुसार कॉलेज के खेल प्रभारी एवं हिंदी प्राध्यापक सतीश कुमार दोपहर करीब 12 बजे अपनी कक्षा ले रहे थे। इसी दौरान उनके चेहरे पर मायूसी देखते हुए छात्राओं ने इसका कारण पूछा तो रोते हुए प्रध्यापक ने प्रिंसिपल सहित तीन लोगों की ओर से उन्हें प्रताड़ित करने की बात कही। उन्होंने प्रिंसिपल पर पत्नी के बीमार होने पर छुट्टी न देने, पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कार्य प्राथमिकता से करने और कक्षा के बीच से बार-बार अपने कार्यालय बुलाकर पढ़ाई बाधित करने के आरोप लगाए। यह सुनते ही छात्राएं भड़क गईं। उन्होंने अपनी कक्षा छोड़ प्रिंसिपल कार्यालय के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्राओं की ओर से अचानक नारेबाजी करने पर कॉलेज कैंपस में पूरा स्टाफ एकत्रित हो गया और छात्राओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन छात्राओं ने प्राध्यापकों की एक नहीं सुनीं और नारेबाजी करते हुए हिंदी प्राध्यापक को इंसाफ दिलाने की मांग पर अड़ी रहीं। छात्राओं ने आरोप लगाया कि जब से प्रिंसिपल पीयूष कुमार आए हैं, तब से कॉलेज में छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है। स्टाफ पढ़ाई न करवा कर आपसी गुटबाजी का शिकार हो रहा है और कक्षाएं लेने के बजाय इन्हें अन्य कामों में लगाया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल पीयूष कुमार, वाइस प्रिंसिपल नरेश कुमार और प्राध्यापिका मीनू आनंद हिंदी प्राध्यापक सतीश कुमार से द्वेष रखते हैं, इसी के चलते प्राध्यापक सतीश कुमार को कॉलेज के अन्य कामों में व्यस्त रखते हैं। पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कार्य कराने का आरोपप्राध्यापक सतीश कुमार ने बताया कि उन्हें प्रिंसिपल दूसरे कामों को प्राथमिकता के आधार पर करने का दबाव डालते हैं। जब इस पर वह आपत्ति करते हैं तो प्रिंसिपल उन्हें तरह-तरह की धमकियां देते हैं। जिसके चलते वे मानसिक तौर पर परेशान हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों स्कूल में हुई वार्षिक खेल प्रतियोगिता के दौरान भी मैदान तैयार कराने में हुए 28 हजार रुपये के खर्च का भुगतान नहीं किया गया। उनकी पत्नी पानीपत के अस्पताल में भर्ती थी, उनके इलाज के लिए छुट्टी देने से भी मना किया गया। अब प्रदेश स्तर पर भारतीय पारंपरिक खेल कराने का दबाव बना रहे हैं। इसमें भी बजट और अन्य योजना स्वयं बनाने के लिए कहा गया। जब इस कार्य में प्रिंसिपल व अन्य स्टाफ के सहयोग के लिए आर्डर जारी करने का आग्रह किया तो उन्होंने मना कर दिया। ऐसे में अप्रैल में प्रदेश स्तरीय खेल बिना किसी योजना और सहयोग के कराना संभव नहीं है। इसी के लिए उन्हें शनिवार को भी परेशान किया गया। कॉलेज के ज्यादातर कार्य उन्हें सौंपे गए हैं। प्राध्यापक अपने काम को लेकर टालमटोल करते हैं। छात्राओं को माध्यम बनाकर उन्होंने हंगामा कराया है। मुझ पर व अन्य स्टाफ पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। छात्राओं को समझाकर शांत कर दिया तो उन्होंने अपने प्रदर्शन को वापस ले लिया। पूरा मामला और शनिवार को हुआ घटनाक्रम उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। - डॉ. पीयूष कुमार, प्रिंसिपल, राजकीय कन्या महाविद्यालय बसताड़ा

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Mar 19, 2023, 02:25 IST
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