उड़ान में अड़चन: भारी व्यवधानों से जूझती इंडिगो भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए बड़ी चेतावनी, परेशानी चरम पर...

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो, जो घरेलू यात्री यातायात का करीब 60 फीसदी से अधिक हिस्सा वहन करती है, पिछले कई दिनों से अगर भारी व्यवधानों से जूझ रही है और यात्रियों की परेशानी चरम पर है, तो इसे केवल एक एयरलाइन की समस्या मानकर हल्के में नहीं ले सकते, बल्कि यह पूरे भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ी चेतावनी है। दिल्ली व पुणे सहित कई हवाईअड्डों पर चेक-इन प्रणाली में तकनीकी समस्या के चलते यह संकट और गहरा गया। समस्या की मूल वजह डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) द्वारा सभी एयरलाइंस के लिए पायलटों व अन्य क्रू सदस्यों के आराम और ड्यूटी के नियमों में किए गए बदलावों को बताया जा रहा है, जिन्हें फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नाम दिया गया है। इनका पहला चरण एक जुलाई को, जबकि दूसरा व अंतिम चरण पिछले महीने ही लागू किया गया है। संशोधित नियमों में पायलट द्वारा उड़ान के घंटों की संख्या में भारी कटौती की गई है और उसके विश्राम की अवधि को भी बढ़ाया गया है। हालांकि, जिस तरह से इंडिगो की तीन सौ से भी ज्यादा उड़ानें सिर्फ गुरुवार को रद्द हुईं और एयरपोर्ट पर यात्रियों के जितने मामले सामने आ रहे हैं, उससे यही लगता है कि नए नियमों का सबसे अधिक असर इंडिगो पर ही पड़ा है, जो स्वाभाविक भी है। इंडिगो के पास सबसे ज्यादा विमान हैं और रोज इसकी 2,300 से अधिक घरेलू व अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित होती हैं। हालांकि, फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स के इंडिगो पर लगाए गए इस आरोप को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि नए नियमों को लागू करने के लिए दो वर्ष की मोहलत दिए जाने के बावजूद अगर पायलटों और क्रू सदस्यों की भारी कमी दिख रही है, तो इसकी वजह कंपनी की दोषपूर्ण भर्ती नीतियां हैं। अफसोस की बात है कि सर्दी के मौसम में इनका खामियाजा सामान्य यात्री भुगत रहे हैं, जिनके लिए कहने को तो हवाई मार्ग बढ़ाए गए हैं, लेकिन समस्याएं भी उसी अनुपात में बढ़ी हैं। बगैर किसी पूर्व सूचना के उड़ानें निरस्त हो जाती हैं, सुविधाएं भी उस स्तर की नहीं होतीं, जबकि डायनेमिक फेयर के नाम पर लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। डीजीसीए को अब सख्ती दिखानी चाहिए और नियमों को लागू करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एयरलाइन पूरी तरह से तैयार हों। अगर इसमें कहीं इंडिगो के नियामकों की लापरवाही सामने आती है, तो उसे जवाबदेह ठहराना ही चाहिए, क्योंकि यह यात्रियों के भरोसे से जुड़ा मामला भी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 05, 2025, 02:29 IST
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