Bareilly News: सीएसएफ वैक्सीन परीक्षण की तकलीफ से सूकरों को बचाएगी एफएवीएन तकनीक
बरेली। बोवाइन किडनी सेल वाली क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) विदेशी वैक्सीन की गुणवत्ता परखने के लिए आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक मॉडल विकसित किया है। वैक्सीन की गुणवत्ता परखने के लिए सूकरों के चैलेंज टेस्ट की जरूरत नहीं। एक बार वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद उसकी गुणवत्ता फ्लूरोसेंट एंटीबॉडी न्यूट्रलाइजेशन (एफएबीएन) तकनीक से परखी जाएगी।भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के जैविक मानकीकरण विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रणव धर के मुताबिक, सीएसएफ वायरस की चपेट में आने से सूकरों की मौत हो जाती है। इससे निजात के लिए तैयार वैक्सीन का परीक्षण सूकरों पर होता था। इस दौरान उनको बेतहाशा दर्द से गुजरना पड़ता था। इससे निजात दिलाने के लिए वैकल्पिक मॉडल करीब दो वर्ष पूर्व ही विकसित कर लिया गया था। अब सीएसएफ वैक्सीन की गुणवत्ता इसी मॉडल पर परखी जा रही है।बताया कि कोरिया और कई देशों में भी सीएसएफ वैक्सीन बोवाइन किडनी सेल कल्चर में बनती हैं। इसे भारत में आयात किया जाता है। उसके परीक्षण का कोई वैकल्पिक मॉडल न होने से सूकरों पर सीधे चैलेंज टेस्ट किया जाता था। अब वैकल्पिक एफएबीएन मॉडल विकसित किया गया है। इसमें बोवाइन किडनी वाली सीएसएफ वैक्सीन का परीक्षण सूकरों को चैलेंज किए बगैर संभव है।इंडियन फार्मोकोपिया में प्रकाशित होगा शोधइंडियन फार्मोंकोपिया एक्सपर्ट कमेटी (आईपीसी) ने आईवीआरआई द्वारा विकसित इस तकनीक को प्रकाशित करने पर सहमति जताई है। डॉ. प्रणव धर के मुताबिक, आईपीसी के वर्ष 2026 के संस्करण में एफएबीएन तकनीक का प्रकाशन होगा। इससे पूर्व वर्ष 2023 में सीएसएफ वैक्सीन के विकसित मॉडल संबंधी शोध का प्रकाशन वॉयरोलॉजी जर्नल में हो चुका है।ब्यूरो
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 02, 2025, 03:05 IST
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