फ्रंट लाइन वर्कर के पिता की गुहार: बोले- साहब! कोरोना की जंग में खो दिया बेटा, नहीं मिल रही मदद

साहब! कोरोना महामारी में लोगों की सेवा करते हुए इकलौता बेटा खो चुका हूं। अब परिवार पालना मुश्किल हो रहा है। साल भर से आर्थिक सहायता की राशि पाने के लिए दौड़ रहा हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। यह दर्द भरा उलाहना सोमवार को आपदा संयोजक गौतम गुप्ता को दे रहे थे गोपलापुर निवासी निर्मल प्रसाद। अधिकारी की टेबल के सामने कांपते हाथों को जोड़े खड़े निर्मल प्रसाद गुहार लगाते समय भावुक हो गए। सुबकते हुए बोले कि मैं मर जाऊंगा तो पौत्रों का क्या होगा जो थोड़ी जमीन थी, उसे बेटे के इलाज के लिए गिरवी रख दी। पेंशन से किसी तरह गुजर-बसर हो रहा है। आर्थिक मदद मिल जाती तो बहू और पौत्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए कुछ कर देता। आंखों में भर आए आंसू को पोंछते हुए उन्होंने कहा कि अब तो मेरी उम्र हो चुकी है। सांसें कभी भी साथ छोड़ सकती हैं। एकलौते बेटे को खो चुका हूं। जीते जी बहू और पौत्रों का भविष्य सुरक्षित करने की आखिरी इच्छा है। हाथ जोड़ रहा हूं। किसी तरह बच्चों के हक की आर्थिक सहायता दिला दीजिए। इसके बाद उन्होंने थोड़ा तल्ख लहजे में कहा कि ऐसे तो जरूरी सेवाओं से जुड़ा कोई भी कर्मचारी किसी महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में नहीं डालेगा। परिवार के लोग भी ऐसा नहीं करने देंगे। फिर उन्होंने कहा कि सभी पीड़ितों को मदद मिल चुकी है। केवल मैं ही दौड़ लगा रहा हूं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 27, 2022, 11:53 IST
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