Bareilly News: सुविधाएं धड़ाम... टेस्टिंग ट्रैक पर अव्यवस्था, घूसखोरी भर रही रफ्तार

एडीटीटी में आवेदकों के लिए कुर्सियां तक नहीं, जमीन पर बैठकर करते हैं अपनी बारी का इंतजारबरेली। परसाखेड़ा स्थित ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक (एडीटीटी) पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। यहां कुर्सियों तक का इंतजाम नहीं। आवेदकों को जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। समय से आने वाले आवेदकों को भी इंतजार करना पड़ता है। आसपास स्थित कैफे वालों की पैठ इतनी मजबूत है कि उनके हस्तक्षेप के बिना टेस्ट पास करना मुश्किल है। उनको पांच हजार रुपये दे दिए तो टेस्ट में पास होने की गारंटी समझिए। सोमवार को पड़ताल में यह हकीकत सामने आई।एडीटीटी में कुल 12 लोगों का स्टाफ है। हर कार्यदिवस में यहां 250 आवेदकों के स्लॉट बुक होते हैं। इनमें से भी कई अपना स्लॉट रिशेड्यूल व कैंसिल करा लेते हैं। कई समय पर पहुंचते ही नहीं। कुल मिलाकर 100-125 आवेदक ही टेस्ट देने पहुंचते हैं। इसके बावजूद यहां की व्यवस्था नहीं सुधर रही है। संवाददोपहर 12:10 बजे एडीटीटी के गेट के बाहर धूप में वाहनों व जमीन पर बैठे आवेदक अपनी बारी का इंतजार करते मिले। कई आवेदक आपस में बात कर रहे थे। एक ने कहा कि आज जितने टेस्ट हुए हैं, सभी को फेल कर दिया गया है। लगता है जिन साहब ने बुलाया था, उनसे बात करनी पड़ेगी। लाइसेंस तो बन ही जाएगा।समय दोपहर 12:15 बजेपरिसर में प्रवेश करते ही गार्ड मिला। इंचार्ज के बारे में पूछने पर बताया कि वह किसी से बात नहीं करते। हमें बताओगे तभी बात आगे बढ़ेगी। इतने में उसकी नजर कैमरे पर पड़ी तो कहा कि साहब उस कमरे में बैठे हैं।दोपहर 12:23 बजेटोकन के लिए खिड़की पर लंबी कतार लगी थी। मैनेजर और सुपरवाइजर दोनों अपने-अपने कमरे में बैठे थे। लाइन के किनारे खड़ा व्यक्ति लोगों से बात कर रहा था। दो युवक टेस्टिंग ट्रैक पर लगे सेंसर के पास खड़े थे। सुपरवाइजर जितेंद्र से इस बाबत पूछा तो वह हड़बड़ा गए। यहां जो आता है, बिना टेस्ट दिए नहीं जाता। फेल आवेदक कैसे पास हो जाते हैं, इस बारे में हम कुछ नहीं बता सकते। उन्हीं के सामने बैठे मैनेजर खामोश रहे।दोपहर 12:32 बजेट्रैक पर हलचल तेज हो गई। दो की जगह चार कर्मचारी खड़े हो गए और आवेदकों को अंदर बुला लिया गया। उनका टेस्ट शुरू हो गया। आठ मिनट बाद मिले चंदपुरी निवासी अजीम ने बताया कि मेरा लाइसेंस बन चुका है। साथी के साथ आया हूं। मेरी ड्राइविंग बहुत अच्छी है। सालों का तजुर्बा है, लेकिन पांच हजार देने के बाद ही लाइसेंस बन पाया था। कैफे वाले ने ही टेस्ट दिलवाने से लेकर सब कुछ कराया था।--हम यहां निर्धारित तरीके से टेस्ट लेते हैं। ट्रैक पर सेंसर लगे हुए हैं। अगर कैफे वाले एडीटीटी के नाम पर वसूली कर रहे हैं तो उन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। - प्रबंधक, एडीटीटी

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 14, 2025, 02:45 IST
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