Indus Water Treaty: जयशंकर बोले- सिंधु जल संधि तकनीकी मामला, आगे की कार्रवाई बातचीत पर निर्भर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि सिंधु जल संधि एक तकनीकी मामला है और भविष्य की कार्रवाई भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्तों के बीच होने वाली बातचीत पर निर्भर करेगी।अपनी लिखी किताब द इंडिया वे : स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड के मराठी संस्करण भारत मार्ग के विमोचन पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में सार्वजनिक रूप से बोलना मेरे लिए सही नहीं होगा। सिंधु जल संधि एक तकनीकी मामला है, दोनों देशों के सिंधु आयुक्त इस बारे में बात करेंगे। हम इसके बाद ही भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा कर सकते हैं। भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को 25 जनवरी को नोटिस जारी किया, क्योंकि इस्लामाबाद की मनमानियों ने संधि के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। राहुल पर निशाना, चीन ने 1962 में किया था हमारी जमीन पर कब्जा उन्होंने भारत-चीन विवाद को लेकर भी कांग्रेस समेत विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन ने 1962 में भारत की जमीन पर कब्जा किया था लेकिन विपक्ष आपको यह नहीं बताता है। वे ऐसे दिखाते हैं जैसे भारत की जमीन का कब्जा आजकल में हुआ हो। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चीनी राजदूत की मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि भारत की जमीन पर चीनी कब्जे को लेकर अगर उनकी जानकारी में कोई कमी है, तो वह सेना या फिर इंटेलिजेंस से बात करेंगे। न कि चीनी राजदूत को बुलाकर अपनी खबर के लिए नहीं पूछूंगा। भारत का प्रभाव प्रशांत महासागर तक पहुंचा उन्होंने कहा कि भारत का प्रभाव हिंद महासागर से आगे निकलकर प्रशांत महासागर तक पहुंच गया है। इसलिए मैं इतिहास पर बोलता हूं, बड़े देश हमेशा अपने बारे में ही सोचते हैं, यह उनके डीएनए में कमी है। दुनिया में देश के विकास में विदेश नीति की अहमियत पर उन्होंने कहा कि हर देश में विदेश नीति केंद्र सरकार की ओर से बनाई जाती है लेकिन बड़े देशों में यह नीति केवल केंद्र नहीं बनाता बल्कि कई अलग-अलग राज्य भी इसमें शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की विदेश नीति में सबकी भागीदारी इसकी बुनियाद है। उन्होंने कहा कि मेरी शुरू से ही कोशिश रही है कि विदेश नीति को विदेश मंत्रालय से निकालकर आम लोगों तक पहुंचाया जाए। जी-20 की बैठकों से दुनिया को भारत में आए बदलाव को दिखाएंगे विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के जी-20 की अध्यक्षता के दौरान देश में हर व्यक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा हुआ है। जी-20 की बैठकें केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसके तहत 200 बैठकें होंगी। इन बैठकों के जरिये हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि जो भी भारत आए और बदलाव देखे। दुनिया के लिए भारत का उत्साह और सकारात्मकता देखे। आत्मनिर्भरता के लिए घरेलू आपूर्ति शृंखला को मजबूत करना होगा उन्होंने कहा कि आज दुनिया हमारे दरवाजे पर खड़ी है। अगर हमें आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाना है तो हमें घरेलू आपूर्ति शृंखला को मजबूत करना होगा, हम दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते, इसलिए हमें एसएमई का समर्थन करना होगा। उन्होंने कहा कि इस गणतंत्र दिवस पर परेड में दिखाए गए ज्यादातर हथियार मेड इन इंडिया थे और इनमें से कुछ पुणे में बने हुए थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 29, 2023, 05:35 IST
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