चिंताजनक: हर साल हेपेटाइटिस-सी से ग्रस्त 74000 शिशु ले रहे जन्म, भारत-PAK समेत 5 देशों में आधे से अधिक मामले

दुनियाभर में हर साल करीब 74,000 शिशु हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के साथ जन्म ले रहे हैं, जो उनकी जिंदगी के लिएए गंभीर खतरा है। इनमें से करीब 23,000 बच्चे पांच साल की उम्र तक भी इस संक्रमण से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाते। इसके आधे से ज्यादा मामले पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, रूस और भारत में हैं। अध्ययन में 15 से 49 वर्ष की आयु की उन महिलाओं का आकलन किया गया जो पहले से एचसीवी से संक्रमित हैं। नतीजों के मुताबिक संक्रमणग्रस्त हर 100 गर्भवती महिलाओं में लगभग 7 शिशुओं को यह वायरस गर्भ में ही लग जाता है। राहत की बात यह है कि इनमें से करीब दो-तिहाई बच्चे पांच वर्ष की उम्र तक प्राकृतिक रूप से वायरस से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन बाकी के मामले लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों की नींव बन सकते हैं। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एडम ट्रिकी का कहना है, यह निष्कर्ष बताते हैं कि नवजात शिशुओं में एचसीवी की जांच कितनी आवश्यक है। बिना जांच और इलाज के यह संक्रमण जीवनभर की समस्या बन सकता है, जबकि अधिकांश मामलों में केवल तीन महीने की दवा से 90% से अधिक मरीज ठीक हो सकते हैं। ये भी पढ़ें:Stray Dogs Case:लावारिस कुत्ते मामले में विरोधी फैसले आए, आज बड़ी पीठ में सुनवाई; CJI ने इन तीन जजों को चुना चीन में सबसे अधिक 8.38 करोड़ संक्रमित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 2022 में दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे और इस वायरस से जुड़ी लिवर बीमारियों के कारण करीब 2.4 लाख मौतें हुईं। हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों को मिलाकर मौतों का वार्षिक आंकड़ा 13 लाख तक पहुंचता है, जिनमें 17% मौतें हेपेटाइटिस सी के कारण होती हैं। वैश्विक स्तर पर 80% मामले सिर्फ 38 देशों में केंद्रित हैं। इनमें चीन 8.38 करोड़ मामलों के साथ सबसे ऊपर है, जो दुनिया के कुल मामलों का 27.5% है। भारत दूसरे स्थान पर है, जहां 2022 में हेपेटाइटिस बी और सी के 3.53 करोड़ मामले दर्ज किए गए। इनमें हेपेटाइटिस सी के अकेले 55 लाख मामले थे। पहचान में देरी से खतरा अधिक डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2022 में सिर्फ 36% संक्रमितों को ही पता था कि वे हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं। इसका कारण यह है कि एचसीवी कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के शरीर में छिपा रह सकता है और बाद में लिवर सिरोसिस या कैंसर का कारण बन सकता है। यह वायरस अधिकतर उन लोगों में पाया जाता है जो पहले से ही सामाजिक-आर्थिक रूप से हाशिए पर हैं, जैसे नशे के लिए सुई इस्तेमाल करने वाले या असुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाओं से गुजरने वाले लोग। ये भी पढ़ें:अध्ययन:शिक्षण संस्थानों पर दो लाख से अधिक साइबर हमले, चार लाख डाटा में सेंधमारी की कोशिश गर्भवती महिलाओं की जांच से आ सकती है कमी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सभी गर्भवती महिलाओं की एचसीवी जांच को अनिवार्य किया जाए तो जन्म के समय संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। विकसित देशों में मातृ-स्वास्थ्य जांच का हिस्सा है, जबकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसकी कवरेज सीमित है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 06:39 IST
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