ईएलएसएस या पीपीएफ : जानें कर बचाने के लिए क्या है बेहतर साधन, दोनों विकल्पों में मिलती है 80सी के तहत छूट

किसी निवेशक के धन सृजन की यात्रा में कर बचत एक जरूरी हिस्सा होता है। इसके लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) दो सबसे पसंदीदा निवेश साधन हैं। दोनो में आयकर कानून की धारा-80सी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। कर में छूट के लिहाज से निवेश के दोनों साधनों में थोड़ा फर्क है। इसलिए कुछ ऐसे मानदंड हैं, जिनके आधार पर आप यह फैसला कर सकते हैं कि ईएलएसएस में निवेश बेहतर है या पीपीएफ का चुनाव इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यह डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड है, जो वर्तमान में मौजूद दूसरे म्यूचुअल फंड की तरह काम करता है। लेकिन, यह कर बचत सुविधा और लॉक-इन अवधि के नजरिये से दूसरे म्यूचुअल फंड से अलग है। रिटर्न : लंबी अवधि में सालाना 15 फीसदी रिटर्न मिलता है, जो महंगाई दर से अधिक है। अगर आप ईएलएसएस में 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं तो 10 साल से अधिक समय में यह राशि 6 लाख रुपये तक बढ़ सकती है। इससे आपको 4.5 लाख रुपये का कैपिटन गेन्स मिलता है। लॉक-इन अवधि : तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है। इस दौरान आप निकासी नहीं कर सकते हैं। निवेश अवधि : कम-से-कम तीन साल तक निवेश करना होगा। कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यानी आप जब तक चाहें, इसमें निवेश कर सकते हैं। कर का गणित : ईएलएसएस में निवेश पर कैपिटल गेन्स (लाभ) अगर एक लाख रुपये से अधिक है तो 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) चुकाना होगा। एक लाख रुपये तक के कैपिटल गेन्स पर कोई कर नहीं लगता है। 1.50 लाख के पीपीएफ अंशदान पर कर सकते हैं टैक्स छूट का दावा पब्लिक प्रोविडेंट फंड कर बचाने के लिए यह लंबी अवधि का निवेश साधन है। इसमें हर महीने या साल में एक बार एकमुश्त पैसे लगा सकते हैं। न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं। रिटर्न : इस पर ब्याज दरों में हर तिमाही संशोधन होता है। वर्तमान में इस पर 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है। हालांकि, पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज हमेशा महंगाई दर से ज्यादा नहीं होता है। लेकिन, निश्चित रिटर्न की सुविधा इसे आकर्षक बनाती है। लॉक-इन अवधि : 15 साल की लॉक-इन अवधि। पीपीएफ खाता पांच साल तक सक्रिय रहने के बाद आप अधिकतम 50 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। आपात स्थिति में खाताधारक पांच साल बाद अपना खाता बंद करा सकते हैं। निवेश अवधि : 15 साल की अवधि यानी मैच्योरिटी के बाद भी निवेश जारी रखना चाहते हैं तो पीपीएफ खाते को 5-5 साल के लिए बढ़ा सकते हैं। इसके लिए मैच्योरिटी से एक साल पहले आवदेन देना होगा। कर का गणित : 1.50 लाख रुपये तक के पीपीएफ अंशदान पर कर छूट का दावा कर सकते हैं। इस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी राशि भी 80सी के तहत पूरी तरह करमुक्त होती है। जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन जरूरी ईएलएसएस उन निवेशकों के लिए अच्छा है, जो जोखिम उठाना चाहते हैं। इसमें महंगाई दर से अधिक रिटर्न मिलता है। दूसरी तरफ, पीपीएफ उनके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है और जो निश्चित रिटर्न के साथ कर बचाना भी चाहते हैं। इसलिए दोनों योजनाओं में निवेश से पहले अपने जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन जरूर करें। -आदिल शेट्टी, सीईओ बैंकबाजार डॉट कॉम

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 16, 2023, 06:54 IST
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