ज्योतिष विश्लेषण: किन ग्रहों और भाव के पीड़ित होने पर आती है शिक्षा में बाधा

एक मनुष्य के जीवन में शिक्षा का बड़ा महत्व है और उसके बिना कहीं मनुष्य का सम्मान भी नहीं होता है। हमारे मनीषियों ने ज्योतिष के ग्रंथों में मनुष्य की शिक्षा, उसके ज्ञान को लेकर ज्योतिष के सूत्रों से उसकी विवेचना की थी। आज इस लेख में हम समझने वाले हैं कि किन ग्रहों और भाव के पीड़ित होने के कारण जातक के जीवन में शिक्षा को लेकर बाधाएं उत्पन्न होती हैं। फलित ज्योतिष में शिक्षा का विचार मुख्यत: दूसरे और पंचम भाव से किया जाता है। दूसरे भाव को ज्ञान और वाणी का कारक माना गया है वही पंचम भाव को शिक्षा और बुद्धि का भाव माना गया है। इसके अलावा कुछ विद्वान नवें भाव से भी उच्च शिक्षा का विचार करते हैं। दरअसल नवम भाव पंचम से पंचम होने के कारण विचारणीय है। अब बात करते है ग्रहों की, फलित में गुरु को ज्ञान का वही बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। अगर बात करें वेद, धर्म, पुराण, ज्योतिष की तो उसका कारक गुरु है वहीं शिक्षा, डिग्री, गणित आदि का कारक बुध है। फलित में बुध विद्यार्थी है और बृहस्पति गुरु यानी समझाने वाला है। इसके अलावा मंगल जातक के बैठने की क्षमता को दर्शाता है कि जातक कितने देर तक संयमित होकर बैठ सकता है और चंद्रमा जातक के मन का कारक है। चंद्र अगर ठीक नहीं हो तो जातक का मन चंचल होता है और बार बार वो कक्षा से उठकर बाहर जाने की सोचता है। जैसा कि हमने आपको बताया कि किसी भी कुंडली में शिक्षा में बाधा का योग देखने के लिए दूसरे, पांचवे भाव और भावेश की स्थिति, मंगल चंद्र गुरु बुध की स्थिति देखना बड़ी जरूरी है। अब हम फलित के कुछ ऐसे योगों के बारे में आपको बताने वाले हैं जिनके कुंडली में होने पर जातक को ना सिर्फ शिक्षा में बाधा आती है बल्कि कार्यक्षेत्र भी निर्धारित नहीं हो पाता है। 1 - अगर जातक की कुंडली में पंचम भाव का स्वामी अशुभ स्थान में बैठकर पाप ग्रहों से पीड़ित हो और पंचम भाव में राहु या शनि में से कोई एक ग्रह हो तो जातक की शिक्षा में अवश्य बाधा आती है। 2 - अगर किसी कुंडली में चंद्रमा निर्बल और पाप पीड़ित हो, दूसरे भाव का स्वामी अस्त या बलहीन हो और बुध पर राहु या मंगल का अशुभ प्रभाव हो तो ऐसा जातक कभी किसी विषय पर न तो बोल पाता है और ना ही उसे यादकर पाता है। 3 - अगर किसी जातक की कुंडली में पंचम भाव से लेकर एकादश भाव तक कालसर्प योग का निर्माण हो रहा हो तो जातक की शिक्षा या तो रुक जाती है या फिर पूरी ही नहीं हो पाती है। 4 - बच्चे की स्मरण शक्ति का कारक फलित में बुध को माना गया है। अगर बुध अस्त, नीच या पाप कर्तरी योग में आ जाए तो बच्चे की स्मरण शक्ति क्षीण हो जाती है और उसे कुछ याद नहीं रहता है। बुध चंद्र युति पर अगर राहु शनि का अशुभ प्रभाव हो तो जातक शिक्षा पूरी करने के दबाब में आत्महत्या भी कर सकता है। 5 - चंद्रमा मन का और केतु भटकाव का कारक है वहीं राहु छल और भ्रम का कारक है। अगर किसी जातक की कुंडली के पंचम भाव में राहु या केतु के साथ चंद्रमा आ जाए तो उस बच्चे का मन पढ़ाई से भटकने लगता है और वो गलत संगत का शिकार होता है। ऐसे बच्चे जो स्कूल में गलत संगत में आकर जुआ, शराब जैसी चीजे करते है उनकी कुंडली में अक्सर पंचम भाव से चंद्र, केतु और राहु का संबंध देखा गया है। 6 - अगर जातक की कुंडली के चौथे भाव का स्वामी त्रिक भाव में पाप पीड़ित हो तो जातक की मानसिक शक्ति क्षीण होती है। अगर ऐसे में लग्नेश और पंचमेश भी बलहीन हो जाए तो ऐसा जातक हमेशा परीक्षा में बैठने से डरता है और बार बार फेल होता रहता है। वार्षिक राशिफल 2023 मेष राशिफल 2023।वृषभ राशिफल 2023।मिथुन राशिफल 2023।कर्क राशिफल 2023।सिंह राशिफल 2023।कन्या राशिफल 2023 तुला राशिफल 2023।वृश्चिक राशिफल 2023।धनु राशिफल 2023।मकर राशिफल 2023।कुंभ राशिफल 2023।मीन राशिफल 2023

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 01, 2023, 16:49 IST
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