ED: बांग्लादेश से बिना पासपोर्ट के भारत में घुसे, फिर वहां से लड़कियों को बरगला कर देह व्यापार में धकेला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), हैदराबाद जोनल कार्यालय ने बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा संचालित अनैतिक तस्करी रैकेट के दो मामलों के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 1.90 लाख रुपये (लगभग) की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है। ईडी ने तेलंगाना पुलिस द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी।बाद में एनआईए ने भी इस केस को अपने हाथ में लिया था। बांग्लादेशी नागरिक पहले खुद बिना पासपोर्ट के भारत में घुसते थे, उसके बाद वहां से लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अवैध रूप से भारत में एंट्री कराते थे। लड़कियों को देह व्यापार में धकेल दिया जाता था। तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद के बाहरी इलाके में दो वेश्यालयों पर छापे मारे थे। पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा संचालित वेश्यावृत्ति और अनैतिक तस्करी के एक संगठित सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था। इस मामले की पीएस चत्रिनाका और पीएस पहाड़ी शरीफ में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले की जांच एनआईए द्वारा भी की गई। जांच में पता चला कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश आरोपी बांग्लादेशी नागरिक थे। वे बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के अवैध रूप से भारत में घुस आए थे। उन्होंने नकली/जाली भारतीय पहचान दस्तावेज प्राप्त किए थे। अन्य एफआईआर में गिरफ्तार होने के बावजूद, वे वेश्यावृत्ति और बांग्लादेशी लड़कियों की अवैध तस्करी में लिप्त रहे। पीड़ित लड़कियों को भारत-बांग्लादेश सीमा पर सक्रिय विभिन्न एजेंटों की मदद से पश्चिम बंगाल में अवैध सीमा पार करके ब्यूटी पार्लर, दर्जी की दुकान, स्टील फैक्ट्री, घरेलू नौकरानी आदि में बेहतर वेतन वाली नौकरियों का झूठा झांसा देकर भारत में तस्करी कर लाया गया। बाद में उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया गया। जांच एजेंसी द्वारा दायर की गई जांच और आरोप पत्र के परिणामस्वरूप, एनआईए की विशेष अदालत ने एक एफआईआर में सभी छह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ईडी ने भी उक्त मामले की जांच की। उसमें पता चला कि आरोपी व्यक्ति हैदराबाद और उसके आसपास के विभिन्न स्थानों पर वेश्यालय चला रहे थे। पीड़ित लड़कियों को कमीशन के आधार पर अन्य वेश्यालयों और एजेंटों के पास भेज रहे थे। नकली/जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों का उपयोग करके, आरोपी व्यक्तियों ने अपनी अवैध गतिविधियों के लिए कई बैंक खाते और ऑनलाइन वॉलेट खोले। इसे भी पढ़ें-Recession Decoded:आईटी शेयरों में ₹88000 करोड़ डूबने से मंदी की आहट; यह क्या बला, क्यों आती है जानें सबकुछ बांग्लादेशी लड़कियों और अन्य लोगों की तस्करी के लिए, आरोपी व्यक्ति पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे एजेंटों/बिचौलियों को प्रति व्यक्ति लगभग 4-5 हजार रुपये का भुगतान कर रहे थे, जिसे सीमा के दोनों ओर तस्करी में शामिल विभिन्न पक्षों के बीच साझा किया गया था। ईडी की जांच में पता चला कि बांग्लादेशी लड़कियों की तस्करी के लिए भुगतान बैंकिंग चैनलों के माध्यम से और एजेंटों को नकद में भी किया गया था। पैसे के निशान को छिपाने के लिए, आरोपी व्यक्तियों ने विभिन्न वित्तीय मध्यस्थों की मनी ट्रांसफर सेवाओं का इस्तेमाल किया। अपराध की आय (पीओसी) का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से सटे कई व्यक्तियों को भेजा गया, जिन्होंने नकदी में धन निकाला और इसे अन्य हवाला एजेंटों को सौंप दिया, जिन्होंने बांग्लादेश में आरोपियों और पीड़ित लड़कियों के परिवारों को धन भेजना सुनिश्चित किया। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने कभी-कभी 'बक्श' (बांग्लादेश बैंक की मोबाइल वित्तीय सेवा) का भी उपयोग किया गया। ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियां पेटीएम वॉलेट और बैंक खातों में शेष राशि के रूप में हैं। साथ ही आरोपियों में से एक रूहुल अमीन धाली की अचल संपत्ति भी शामिल है, जो भारत में बांग्लादेशी लड़कियों की अवैध तस्करी में शामिल सबसे प्रमुख एजेंटों में से एक था।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Mar 13, 2025, 19:08 IST
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