Terrorism: जयशंकर बोले- आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त रुख बताता है कि देश दूसरों के दबाव में नहीं आएगा

पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी घटनाओं और चीन के साथ आक्रामक झड़प पर हमारी जवाबी कार्रवाई ने दिखाया है कि भारत सीमापार चुनौतियों के सामने किसी दबाव में नहीं आएगा। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कही।वह तमिल साप्ताहिक तुगलक की 53वीं वर्षगांठ को संबोधित कर रहे थे।जयशंकर ने कहा कि सभी देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा की परीक्षा हो रही है, लेकिन भारत का हिस्सा उचित से अधिक रहा है।इनमें उग्रवाद और युद्ध से लेकर सीमा पार आतंकवाद, विशेषकर आतंकवाद शामिल हैं।उन्होंने कहा कि भारत के लंबे समय से सहन करने वाले दृष्टिकोण ने आतंकवाद केसामान्य करने का खतरा पैदा कर दिया है। भारतअपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ करेगा: जयशंकर उन्होंने 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में वायुसेना की ओर से किए गए बालाकोट हवाई हमलोंका उल्लेख करते हुए कहा किदेश अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ करेगा। उत्तरी सीमाओं पर चीन ताकत के बल पर बार-बार यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। कोविड-19 के बावजूद चीन की साजिश का हमने मजबूती से जवाब दिया है। दुर्गम इलाकों और कठोर परिस्थितियों वाली सीमाओं पर हजारों की संख्या में तैनात हमारे सैनिक अनवरत अपना काम कर रहे हैं। उसी समय केंद्र सरकार अन्य देशों के साथ परस्पर हितों को ध्यान में रखते हुए मजबूत आर्थिक और सामरिक संबंध स्थापित कर रही है। तो भारत होता दुनिया का सबसे बड़ा देश केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि अगर 1947 में विभाजन नहीं हुआ होता तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश होता, न कि चीन। विभाजन के चलते देश के कई हिस्से अलग हो गए जिसने भारत का कद छोटा कर दिया।सभा को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कोविड-19 के बारे में भी बात की और कहा कि भारत एक सफल निर्माता होने के साथ-साथ टीकों का आविष्कारक भी है। उन्होंने कहा किआपको आश्चर्य हो सकता है कि विदेश मंत्री ये बातें क्यों कर रहे हैं। अपनी विदेश यात्रा के दौरान मैंने कई विकसित देशों को आपूर्ति किए गए हमारे कोविड-19 टीकों पर धन्यवाद के शब्द सुने हैं। उन्होंने हमारे प्रौद्योगिकी-सक्षम शासन में रुचि दिखाई है। वैश्विक सुरक्षा में भी भारत की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि वैश्विक पुनर्संतुलन के मूल में चीन, भारत और दक्षिण में अन्य लोगों का पुनरुत्थान रहा है, जिन्होंने अपनी दीर्घकालिक विशेषताओं को राष्ट्रीय पुनरुत्थान की प्रक्रिया के माध्यम से अधिक महत्व दिया है।जयशंकर ने यह भी कहा कि प्रमुख कारक विकास की गति और प्रकृति है, विशेष रूप से इसे मानव-केंद्रित बनाना है। इस संबंध में हाल की घटनाएं हमारे देश के लिए आशावाद का स्रोत हैं। समाज को बदलने की प्रतिबद्धता 2014 से तेजी से समग्र और प्रभावी हुईहै। उन्होंने कहा कि यह बेहतर स्वास्थ्य और टीकाकरण, लैंगिक अंतराल को कम करने, शैक्षिक पहुंच और कवरेज का विस्तार करने और प्रतिभा और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कौशल को बढ़ावा देने, व्यवसाय करना आसान बनाने और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के साथ शुरू होता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 15, 2023, 01:20 IST
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