Peace Plan: रूस-यूक्रेन जंग रुकने से US होगा मालामाल? जानें ट्रंप की शांति योजना के खिलाफ क्यों है यूरोपीय संघ

यूक्रेन को यूरोप से हथियारों और खुफिया जानकारी की जरूरी मदद मिल रही हैं, इसमें पैसे भी उतना ही जरूरी हिस्सा है। यूरोप के इस बड़े वित्तपोषण (फंडिंग) का तंत्र अरबों डॉलर की कीमत वाली रूसी संपत्ति को जब्त करना है, जिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपना नियंत्रण स्थापित करने का प्रस्ताव ला चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से पेश की गई 28 सूत्रीय शांति योजना के पहले मसौदे में यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए एक निवेश योजना की बात कही गई थी। इसकी फंडिंग 100 अरब अमेरिकी डॉलर की रूसी परिसंपत्तियों से करने और इसी की तुलना में यूरोपीय संघ से भी 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना बनाई गई थी। शांति योजना में इसका नियंत्रण अमेरिका के पास होना तय किया गया था और फायदे का 50 फीसदी वॉशिंगटन को भेजे जाने का प्रस्ताव था। ट्रंप की इस योजना ने यूरोपीय लोगों को चौंका दिया था, जो वर्षों से रूस की इन जब्त संपत्तियों के भविष्य पर बहस कर रहे थे। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की योजना में रूसी संपत्तियां केंद्र बिंदु में हैं। इनका मकसद रूस पर दबाव बनाए रखना और यूक्रेन के लिए समर्थन को बढ़ाना है। उन्होंने बुधवार को फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद के सांसदों के बीच कहा, 'मैं ऐसा कोई परिदृश्य नहीं देख सकती, जिसमें यूरोपीय करदाता अकेले ही बिल का भुगतान करेंगे।' करीब चार साल पहले रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले के बाद से 27 देशों के यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को लगभग 197 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि भेजी है। हालांकि, यूरोपीय देशों के बीच 2026 और 2027 के लिए यूक्रेन के बजट और सैन्य जरूरतों के लिए अनुमानित 153 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि जुटाने के लिए रूसी संपत्तियों को जब्त करने पर लगभग सर्वसम्मति है। इस बिल का भुगतान यूरोपीय संघ की ओर से लिए गए संयुक्त कर्ज और अलग-अलग देशों की ओर से दिए गए अनुदान से करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इसका मुख्य स्रोत ब्रुसेल्स स्थित वित्तीय संस्थान यूरोक्लियर में जमा 225 अरब अमेरिकी डॉलर की रूसी परिसंपत्तियां ही हैं। शांति समझौते से ट्रंप का फायदा ट्रंप की शांति योजना ने यूरोपीय देशों में इस शक को मजबूत कर दिया है कि वह एक ऐसा त्वरित समझौता चाहते हैं, जिससे अमेरिका का फायदा हो और जो यूरोपीय लोगों पर उसे लागू करने का बोझ डालेगा। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह प्रस्ताव इन रूसी परिसंपत्तियों को छीनने की अमेरिकी कोशिश है, जो ऐसे समय में आया है जब ब्रुसेल्स और वॉशिंगटन टैरिफ पर व्यापार वार्ता फिर से शुरू कर रहे हैं। बर्लिन स्थित यूरोपीय विदेश संबंध परिषद की वरिष्ठ फेलो अगाथे डेमारिस ने कहा कि यह प्रस्ताव रूस की ओर भारी झुकाव वाले शांति समझौते के लिए हस्ताक्षर बोनस के समान है। वहीं, यूरोपीय नीति केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी फैबियन जुलेग ने अमेरिका की ओर से इन परिसंपत्तियों के अधिग्रहण को अपमानजनक बताया है। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि यह यूरोपीय लोगों को भी स्वीकार हो सकता है, अगर आखिर में एक अच्छे सौदे के लिए यही कीमत चुकानी पड़े। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधियों के बीच गहन विचार-विमर्श के बाद निवेश योजना को नई शांति योजना के मसौदे से हटा दिया गया। रूस पहले ही नए मसौदे को पूरी तरह से खारिज करने का संकेत दे चुका है।यूरोपीय आयोग ने इन संपत्तियों का सीधा स्वामित्व लेने का प्रस्ताव रखा है। वॉन डेर लेयेन के नेतृत्व में आयोग यूक्रेन को कर्ज जारी कर सकता है, जिसका भुगतान तभी किया जाएगा जब मास्को कीव को युद्ध क्षतिपूर्ति देगा। हालांकि, बेल्जियम के प्रधानमंत्री बार्ट डी वेवर ने यूक्रेन को दिए जाने वाले बड़े कर्ज के लिए इन संपत्तियों को गिरवी रखने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि रूस बेल्जियम के हितों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा।18 दिसंबर को डी वेवर अन्य यूरोपीय संघ के राष्ट्रीय नेताओं के साथ ब्रुसेल्स में एक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, जिसमें अन्य विषयों के अलावा रूसी संपत्तियों को जब्त करने पर भी चर्चा होगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 27, 2025, 08:03 IST
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