Chandigarh: हाउसिंग बोर्ड के 60 हजार मकानों के लिए नीड बेस्ड कमेटी बनाएं, चीफ सेक्रेटरी से मिली फेडरेशन

चंडीगढ़ में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के 60 हजार मकानों के लिए नीड बेस्ड कमेटी बनाने की मांग उठाई गई है। सीएचबी रेजिडेंट्स फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने वीरवार को मुख्य सचिव एवं सीएचबी के चेयरमैन एच राजेश प्रसाद से मुलाकात कर यह मांग उठाई। सीएचबी रेजिडेंट्स फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव से मलकीयत ट्रांसफर करते समय वॉयलेशन और मिसयूज के मामलों का अडंगा लगाकर ट्रांसफरशिप केसों को समयबद्ध तरीके से निपटारे के लिए नई पॉलिसी बनाने की मांग की है। फेडरेशन ने कहा कि रिकॉर्ड की अगर बात करें तो शहर के हाउसिंग बोर्ड के 98 प्रतिशत मकानों पर वॉयलेशन और मिसयूज के नोटिस दिये गये हैं, ऐसे में इन मकानों के सेल-परचेज के समय मलकीयत ट्रांसफर करते समय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल वीके निर्मल ने मुख्य सचिव के समक्ष जोनल रूल में दी गई छूट को दोबारा लागू करने की मांग की। जोनल रूल के तहत हाउसिंग बोर्ड के मकानों में पिछली दीवार के पास कंस्ट्रक्शन करने में जो छूट दी गई थी, प्रशासन ने नई नोटिफिकेशन जारी कर यह प्रावधान खतम कर दिया है। यहां तक की हाउसिंग बोर्ड के पुराने मकानों और फ्लैट्स जिनकी सेल-परचेज पावर ऑफ अटॉर्नी पर हुई है, उसके साथ विल पर मलकीयत ट्रांसफर की जाती थी, लेकिन सीएचबी ने विल पर मलकीयत ट्रांसफर करना बंद कर दिया है, जिससे कई मामलों में कानूनी बाधा के चलते केस पेंडिंग पड़े हैं। इस पर सीएचबी रेजिडेंट्स फेडरेशन के प्रतिनिधियों जिनमें कोऑर्डिनेटर तरसेम शर्मा, हरिश थापर और लखविंदर सिंह ने प्रशासन से नई पॉलिसी बनाने की मांग की है। वॉयलेशन और मिसयूज नोटिस के लिए स्कीम लाई जाए फेडरेशन ने मुख्य सचिव से कहा कि जिन हाउसिंग बोर्ड के मकानों और फ्लैट्स को प्रशासन की ओर से मिसयूज और वॉयलेशन के नोटिस भेजे गए हैं, उन मामलों को वन टाइम सेटलमेंट जैसी स्कीम लाकर शहरवासियों को राहत दी जानी चाहिए। इसके लिए स्कीम लाने से पहले सीएचबी को हाउसिंग बोर्ड से जुड़ी रेजिडेंट्स बॉडी के भी सुझाव लेने चाहिए। फेडरेशन ने मुख्य सचिव के समक्ष यह प्रमुख मुद्दे उठाए -ऑनरशिप ट्रांसफर के मामलों को वॉयलेशन केस से अलग किया जाए, जैसा कि पहले किया जाता था। - पुराने निर्माण कार्यों पर अब नोटिस जारी न किए जाएं। पुराने नोटिफिकेशन को रद्द करने की बजाय, पुराने समय में दी गई नीड-बेस्ड छूटों को बहाल किया जाए। -विभाग को भेजी जानी वाली शिकायतों की वेरिफिकेशन के बाद ही कदम उठाया जाए। - उन लाभार्थियों को स्वामित्व दिया जाए जिनके नाम पर विक्रेताओं ने वसीयत बनाकर दी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 17, 2025, 10:00 IST
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