Delhi NCR News: पराली जलाने के समय में बदलाव से तीन गुना बढ़ा दिल्ली का स्मॉग
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (पुणे), अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च और दिल्ली के एयर क्वालिटी कमीशन के वैज्ञानिकों की स्टडी की रिपोर्ट-कहा, 2009 में दोनों राज्यों में पानी बचाने को लाए गए कानून ने गलती से दिल्ली की हवा को और जहरीला बनायासंवाद न्यूज एजेंसीनई दिल्ली।दिल्ली में हर साल सर्दियों में जो स्मॉग छाता है, उसकी एक बड़ी वजह पंजाब-हरियाणा में पराली जलाना है। अब एक नई स्टडी में पता चला कि 2009 में इन दोनों राज्यों में पानी बचाने के लिए लाए गए कानून ने गलती से दिल्ली की हवा को और जहरीला बना दिया। यह स्टडी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (पुणे), अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च और दिल्ली के एयर क्वालिटी कमीशन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है। इसकी वजह से किसानों को धान की रोपाई देर से करनी पड़ी। नतीजा हुआ कि फसल कटाई भी देर से हुई और पराली जलाने का समय अक्तूबर के अंत से बदलकर नवंबर के पहले-दूसरे हफ्ते में चला गया। नवंबर में मौसम पहले से ही ठंडा होता है, हवा कम चलती है और धुएं के लिए छत बहुत नीचे आ जाती है। इसलिए पराली का धुआं दिल्ली में पहले से ज्यादा फंसने लगा।स्टडी के अनुसार 2010 से पहले दिल्ली में खराब या उससे बुरी हवा के घंटे औसतन 89 थे, अब बढ़कर 334 घंटे हो गए, यानी तीन गुना से ज्यादा। वहीं, रोजाना शाम 4 बजे का एक्यूआई करीब 90 अंक तक बढ़ गया। इसके अलावा, पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ा, जो पहले के मुकाबले 36 फीसदी ज्यादा है। सिर्फ 2021 के अक्तूबर-नवंबर में ही इस देरी की वजह से करीब 205 अतिरिक्त लोगों की जान गई या सेहत पर गंभीर असर पड़ा। लंबे समय में हजारों साल जीवन कम होने का अनुमान है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पराली का धुआं जब दिल्ली पहुंचता है, तो वह सूरज की रोशनी रोक देता है, जमीन और ठंडी हो जाती है, हवा ऊपर नहीं उठ पाती और सारा प्रदूषण नीचे ही फंस जाता है। इसे एटमॉस्फेरिक फीडबैक कहते हैं, जिसने अकेले 40 फीसदी तक स्मॉग को और गंभीर बना दिया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 04, 2025, 15:42 IST
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