Delhi: विधानसभा फांसी घर विवाद पहुंचा हाईकोर्ट, पूर्व सीएम केजरीवाल ने प्रिविलेज कमेटी के समन को दी चुनौती

दिल्ली विधानसभा के विवादास्पद फांसी घर को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी की ओर से जारी समन को चुनौती दी है। कोर्ट में यह मामला न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष 11 नवंबर को सुनवाई के लिए निर्धारित है। विवाद दिल्ली विधानसभा परिसर में एक संरचना को लेकर है, जिसे पूर्व में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने ब्रिटिश कालीन फांसी घर बताकर अगस्त 2022 में केजरीवाल और अन्य आप नेताओं की उपस्थिति में उद्घाटित किया था। हालांकि, वर्तमान भाजपा सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि यह मूलरूप से एक सेवा सीढ़ी या टिफिन रूम था। केजरीवाल, सिसोदिया व अन्य ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया तथा सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया। सितंबर में विधानसभा सत्र के दौरान स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार ने इस स्थान को जेल जैसा दिखाने के लिए करीब 1 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के भित्तिचित्र, प्रतीकात्मक लोहे की सलाखें और दो फंदे तक लगाए गए। प्रिविलेज कमेटी, जो भाजपा विधायक प्रद्युम्न सिंह राजपूत की अध्यक्षता में है, 13 नवंबर को इस संरचना की प्रामाणिकता की जांच के लिए बैठक करने वाली है। छह नवंबर को जारी हुआ था समन इससे पहले, 6 नवंबर को दिल्ली विधानसभा ने अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया, पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल और पूर्व उप स्पीकर राखी बिड़ला को 13 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समन जारी किया था। दिल्ली दंगा : कानून मंत्री कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच का आदेश रद्द राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को कानून मंत्री कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश में कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह शिकायत पर कानून के अनुसार सुनवाई करे। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दलील दी थी कि उसने पहले ही दंगों की साजिश में कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच की थी और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। इससे पहले, अप्रैल 2025 में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कपिल मिश्रा और अन्य लोगों की 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश में भूमिका की आगे जांच करने का आदेश दिया था। इस आदेश को कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। 25 सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह आदेश मोहम्मद इलियास की शिकायत के आधार पर दिया गया था। दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने दावा किया कि मिश्रा की जांच पहले ही की जा चुकी है और उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि मिश्रा को फंसाने की साजिश रची गई थी, जिसमें व्हाट्सएप ग्रुप चैट और सोशल मीडिया पर अरेस्ट कपिल मिश्रा जैसे अभियानों के जरिए एक नरेटिव बनाया गया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 11, 2025, 07:00 IST
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