Cybersecurity: ऑनलाइन सेंधमारी की क्षमता हासिल कर लेने के चीन के दावे से दुनिया भर में चिंता

चीन के शोधकर्ताओं ने इस हफ्ते चौंका देने वाला दावा किया है। दुनिया भर के कंप्यूटर सुरक्षा विशेषज्ञ इसकी सच्चाई जानने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। चीनी शोधकर्ताओं का दावा अगर सही है, तो उसका मतलब यह होगा कि चीन दुनिया के किसी भी ऑनलाइन इन्क्रिप्शन (कोड यानी पासवर्ड) को तोड़ने में सक्षम हो जाएगा। पहले विशेषज्ञों का अनुमान था कि किसी देश को ऐसी क्षमता हासिल करने में अभी कई पीढ़ियां लगेंगी। लेकिन अगर चीनी दावा सही है, तो उसका मतलब यह है कि यह खतरा अब सारी दुनिया के सिर पर मंडरा रहा है। इस दावे के बारे में विस्तृत रिपोर्ट ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स में छपी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक विज्ञान अनुसंधान पेपर दिसंबर के आखिर में प्रकाशित हुआ। उसमें उस विधि का जिक्र है, जिससे आरएसए एल्गोरिद्म को तोड़ा जा सकता है। यह कार्य सिर्फ 372 क्यूबिट्स के क्वांटम कंप्यूटर से किया जा सकता है। (क्वांटम कंप्यूटिंग की बुनियादी इकाई क्वांटम बिट्स है, जिसे संक्षेप में क्यूबिट्स कहा जाता है)। पेपर में दी गई जानकारी के मुताबिक यह विधि तैयार करने में विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और सरकारी प्रयोगशालाओं के 24 अनुसंधानकर्ताओं ने भूमिका निभाई है। कंप्यूटर सिक्योरिटी विशेषज्ञ रॉजर ग्राइम्स ने कहा है कि यह अनुसंधान कंप्यूटर सुरक्षा के इतिहास में एक बहुत बड़ा पल है। उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- यह बहुत बड़ा दावा है। इसका अर्थ यह होगा कि एक सरकार किसी दूसरी सरकार की गोपनीय सूचनाओं तक पैठ बना लेगी। अगर यह दावा सच है तो यह कंप्यूटर विज्ञान के इतिहास में हुई सबसे बड़ी घटनाओं में एक है। दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि शोध पत्र में जिस सिद्धांत का जिक्र है, उसमें दम नजर आता है। लेकिन अभी क्वांटम टेक्नोलॉजी की जो क्षमता मौजूदा है, उससे व्यवहार में ऐसा करना मुश्किल लगता है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिक पीटर शोर ने कहा- जितना बता सकने की स्थिति में मैं हूं, उससे नहीं लगता कि चीनी शोधपत्र गलत है। शोर ने 1994 में ऐसा एल्गोरिद्म तैयार किया था, जो कंप्यूटर इन्क्रिप्शन को तोड़ने में सक्षम था। उनके उस शोध के बाद क्वांटम कंप्यूटिंग के शोध का नया दौर शुरू हुआ था। लेकिन उनकी विधि से कंप्यूटर इन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए लाखों क्यूबिट्स की जरूरत होगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक इतनी क्षमता प्राप्त करने में अभी एक दशक से भी ज्यादा वक्त लगेगा। शोऱ ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- चीनी रिसर्चरों ने यह नहीं बताया है कि उनका एल्गोरिद्म कितनी तेजी से चलेगा। वैसा विश्लेषण सामने नहीं आने के कारण मुझे संदेह है कि उनका दावा कोई बहुत बड़ी प्रगति नहीं है। चीन में प्रकाशित शोध पत्र साल भर के अंदर हुआ दूसरा ऐसा दावा है, जिससे ऑनलाइन इन्क्रिप्शन को लेकर चिंता पैदा हुई है। पिछले साल जर्मन गणितज्ञ क्लाउस पीटर श्नोर ने एक एल्गोरिद्म प्रकाशित किया था और दावा किया था कि यह आरएसए कोड को तोड़ने में अधिक सक्षम है। बल्कि उन्होंने तो यहां तक दावा किया था कि इस एल्गोरिद्म से परंपरागत कंप्यूटरों के जरिए ही इन्क्रिप्शन में सेंध लगाई जा सकती है। लेकिन बाद में सामने आया कि श्नोर की विधि व्यवहार में कारगर नहीं है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 07, 2023, 14:49 IST
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