BHU: प्राचीन विरासत...अंतरिक्ष-रक्षा तकनीक का संगम देख खिल उठा तमिल युवा मन, जानें क्या है तीसरी भाषा

Varanasi News: घाट पर गंगा स्नान और शिव दर्शन कर 216 तमिल छात्र जब बीएचयू पहुंचे तो यहां पर धर्म शिक्षा और तकनीक का मिश्रण देख आश्चर्यचकित हो उठे। 1300 एकड़ के कैंपस में मूर्ति कला, महामना की विरासत का साक्षात दर्शन किया तो दूसरी ओर सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर और आईआईटी के लैब में जाकर कैंसर, अंतरिक्ष, रक्षा और एथिकल हैकिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक पर हो रहे रिसर्च को जाना। भारत कला भवन, दृश्य कला संकाय के साथ ही वीटी भी गए। वहीं, पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में पूरे तीन घंटे के एकेडमिक कार्यक्रम में उपस्थित हो कर तमिलनाडु और काशी के हजारों साल के पौराणिक और साहित्यिक इतिहास को जाना। यहां पर मंचासीन वक्ताओं ने “तमिल कल्पना में काशी: महाकवि सुब्रमण्य भारती और उनकी विरासत” विषय पर संवाद किया तो उनका रियल टाइम अनुवाद भी स्क्रीन पर दिखता रहा। लेखक अमीश त्रिपाठी, कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी, एनसीईआरटी के कार्यवाहक प्रमुख प्रो. मेगनाथन और प्रो. पीवी राजीव को सुनने के लिए तमिल छात्र श्रोता बन गए। प्रो. मेगनाथन ने बीएचयू में एकेडमिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सभी भारतीयों को एक तीसरी भाषा जरूर सीखनी चाहिए। ये एक भाषा जिसके अनेक फायदे होंगे। गैर-तमिल भाषी लोगों के बीच तमिल भाषा सीखने के लिए एनसीईआरटी ने तमिल भाषा ट्यूटोरियल विकसित किया है। उन्होंने सभी तमिल छात्रों को एनसीईआरटी द्वारा भारती पर तैयार की गई एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई। ये भी बताया कि कवि भारतियार को 25 से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान था। भारतीय भाषा विभाग के डॉ. जगदीशन टी ने कहा कि भारत की वास्तविक समझ के लिए तमिल और संस्कृत दोनों का ज्ञान जरूरी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 03, 2025, 23:55 IST
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