अंतरराष्ट्रीय: इस्राइल, ईरान और अमेरिका में संघर्ष से और अस्थिर होगा पश्चिम एशिया, उलट सकता है आर्थिक परिदृश्य

इस खुफिया जानकारी के मिलते ही कि कुछ ही महीनों में ईरान परमाणु हथियार बनाने में सफल हो जाएगा, इस्राइल ने उसके परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के लिए हवाई हमला शुरू कर दिया। इस्राइल के हवाई हमलों ने ईरान के मुख्य परमाणु संवर्धन सुविधा के साथ-साथ इसकी हवाई सुरक्षा और लंबी दूरी की मिसाइल सुविधाओं को भी निशाना बनाया। ईरान के सर्वोच्च नेता अयतुल्ला खामनेई ने जवाब में कड़ी सजा देने की घोषणा की है। ईरान संभवतः इस्राइल के परमाणु ठिकानों और फारस की खाड़ी में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है। इस्राइल ने दावा किया कि हमले के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने उसकी तरफ 100 ड्रोन दागे। जाहिर है, पश्चिम एशिया एक बार फिर संभावित विनाशकारी युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, जिसके गंभीर क्षेत्रीय और वैश्विक परिणाम होंगे। गौरतलब है कि इस्राइल ने यह हमला तब किया है, जब अमेरिका और ईरान के बीच मध्य अप्रैल से परमाणु समझौता वार्ता चल रही है। हाल के हफ्तों में यह कूटनीतिक प्रयास ट्रंप की इस मांग के कारण रुक गया कि ईरान शून्य-यूरेनियम संवर्धन की स्थिति पर सहमत हो और 60 फीसदी शुद्धता के स्तर पर लगभग 400 किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम के अपने भंडार को नष्ट कर दे। लेकिन तेहरान ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। नेतन्याहू ने पहले भी वाशिंगटन से ईरान के खिलाफ सैन्य अभियान में शामिल होने का आग्रह किया था। लेकिन अमेरिकी नेताओं ने पश्चिम एशिया में एक और युद्ध छेड़ना या उसमें शामिल होना उचित नहीं समझा, खासकर इराक में पराजय और अफगानिस्तान में असफल हस्तक्षेप के बाद। इस्राइल की सुरक्षा और क्षेत्रीय वर्चस्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बावजूद, ट्रंप तेल समृद्ध अरब देशों के साथ अपने संबंधों की कीमत पर नेतन्याहू से बहुत निकटता से जुड़ने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने हाल ही में पश्चिम एशिया की यात्रा की, जबकि इस्राइल को दरकिनार कर दिया। इस हफ्ते ट्रंप ने नेतन्याहू को चेतावनी भी दी थी कि वे ऐसा कुछ न करें, जिससे ईरान के साथ अमेरिका की परमाणु वार्ता कमजोर हो जाए। वह शांति मध्यस्थ के रूप में अपनी स्वघोषित छवि गढ़ने के लिए समझौता करने को उत्सुक हैं। लेकिन जब परमाणु वार्ता में गतिरोध दिखा, तो नेतन्याहू ने फैसला किया कि अब कार्रवाई करने का समय आ गया है। ट्रंप प्रशासन ने इस हमले से खुद को अलग कर लिया है। पर यह देखना अभी बाकी है कि ईरान द्वारा जवाबी कार्रवाई किए जाने पर क्या अमेरिका अब इस्राइल की रक्षा के लिए इसमें शामिल होगा। ईरानी प्रतिक्रिया की प्रकृति और दायरे के आधार पर मौजूदा संघर्ष एक अनियंत्रित क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिसमें कोई भी पक्ष विजयी नहीं हो सकता। एक बड़ा संघर्ष न केवल पहले से ही अस्थिर पश्चिम एशिया को और अस्थिर करेगा, बल्कि नाजुक वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को भी उलट सकता है। ट्रंप के पास परमाणु वार्ता के बहाने नेतन्याहू को रोकने के अच्छे कारण थे। लेकिन अब जबकि नेतन्याहू ने ईरान पर हमला कर ही दिया है, तो देखना होगा कि समय रहते एक बड़े युद्ध को टाला जा सकता है या नहीं। (द कन्वर्सेशन से)

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jun 14, 2025, 07:22 IST
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