Delhi News: दहेज उत्पीड़न मामले में दोषी वायुसेना कर्मी की अनिवार्य सेवानिवृत्ति रद्द

30 सितंबर 1997 को दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थीअमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराए गए वायु सेना के लेखा परीक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के निर्णय को पलटते हुए उनकी सेवा में बहाली का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति रेनू भटनागर की पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता के साथ ट्रायल कोर्ट ने नरमी बरती थी और उन्हें अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत परिवीक्षा पर रिहा किया गया था। ऐसे में अनुशासनात्मक प्राधिकारी की ओर से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का कठोर दंड देना उचित नहीं है।याचिकाकर्ता ने 30 सितंबर 1997 को दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता देहरादून स्थित रक्षा लेखा नियंत्रक (वायु सेना) के कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत थे। बाद में उन्हें लेखा परीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया था। जनवरी 1997 में सहारनपुर की मजिस्ट्रेट अदालत ने याचिकाकर्ता को दहेज उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया था। इसके बाद विभाग ने सितंबर 1997 में उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया था। हालांकि, सत्र न्यायालय ने सजा को बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ता को परिवीक्षा अधिनियम के तहत लाभ प्रदान कर रिहा कर दिया था। अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने दावा किया था कि परिवीक्षा पर रिहाई दोषसिद्धि को समाप्त नहीं करती और ऐसे व्यक्ति को लोक सेवा में बनाए रखना उचित नहीं है। हालांकि, हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि परिवीक्षा अधिनियम का उद्देश्य सुधारात्मक है, जो पहली बार दोषी ठहराए गए व्यक्ति को कारावास की सजा के बिना समाज में पुनः एकीकरण का अवसर देता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तिथि से सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तिथि से बहाली की तिथि तक किसी भी वेतन या भत्तों के लिए पात्र नहीं होंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 19:29 IST
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