बाल दिवस पर विशेष: खो गया खेल, सिमट गया बचपन... मोबाइल में कैद नई पीढ़ी; ये है आज की हकीकत

बचपन में जो खेल आपने खेले, वो शायद अब नहीं। क्योंकि आज की पीढ़ी मोबाइल में सिमट गई है।कभी दोपहर की धूप में मिट्टी पर क्रिकेट और कबड्डी की आवाज़ें गूंजती थीं, अब वही गलियां सन्नाटे में डूबी हैं। बच्चों की दुनिया अब मैदानों में नहीं, बल्कि मोबाइल की चमकती स्क्रीन में सिमट गई है। किरावली क्षेत्र के गांव महुअर के निवासी रवी शर्मा बताते हैं कि अब खेल का समय स्क्रीन टाइम में बदल गया है। बच्चे मोबाइल गेम्स और वीडियो देखने में इतने डूब जाते हैं कि बाहर खेलने की आदत धीरे-धीरे खत्म हो रही है। उन्होंने कहा पहले बच्चे खेलते-खेलते थक जाते थे, अब मोबाइल छोड़ते नहीं हैं। वरिष्ठ नागरिक मुकेश शर्मा कहते हैं कि पहले खेल बच्चों में मित्रता, टीम भावना और अनुशासन सिखाते थे, अब वही खेल वर्चुअल दुनिया तक सीमित हो गए हैं। वहीं, पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज मिढ़ाकुर के प्रधानाचार्य अनिरुद्ध यादव का कहना है कि मोबाइल की लत से बच्चे मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार स्क्रीन देखने से उनकी एकाग्रता और दृष्टि कमजोर हो रही है। पढ़ाई पर असर पड़ रहा है और शारीरिक रूप से भी वे कमजोर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को ऑफलाइन पढ़ाई और शारीरिक गतिविधियों की ओर लौटाना जरूरी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 14, 2025, 06:53 IST
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