बाल देखभाल अवकाश अधिकार तो नहीं पर मनमानी भी नहीं चलेगी : हाईकोर्ट
बच्चों की देखभाल के लिए स्कूल की ओर से अधिक सीसीएल देने से मना करने पर महिला शिक्षिका ने दी थी याचिका संवाद न्यूज एजेंसीनई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा है कि महिला सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला बाल देखभाल अवकाश कोई अधिकार तो नहीं है, लेकिन इसे मनमाने या औपचारिक (यांत्रिक) तरीके से अस्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति नवीन चावला और मधु जैन की पीठ ने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चे के कल्याण और मां की वास्तविक जरूरतों का समर्थन करना है। यह आदेश महिला शिक्षक की याचिका पर आया, जो दिल्ली सरकार के एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीजीटी (गणित) के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने दो बच्चों जो कक्षा 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे थे। उसकी देखभाल के लिए कई बार सीसीएल की मांग की थी।महिला का कहना था कि उनका पति मरीन इंजीनियर है और लंबे समय तक विदेश में रहता है, इसलिए बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी पूरी तरह उन्हीं पर है। स्कूल प्रशासन ने सीसीएल के उनके अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि स्कूल में कोई वैकल्पिक गणित शिक्षक उपलब्ध नहीं है। बाद में उन्हें कुछ अवधि के लिए सीसीएल दी गई, लेकिन शेष समय के लिए उन्हें असाधारण अवकाश लेना पड़ा। अदालत ने पाया कि स्कूल ने एक ओर प्रशासनिक असुविधा का हवाला देकर सीसीएल अस्वीकार की, और दूसरी ओर उसी अवधि के लिए 303 दिनों का ईओएल (असाधारण अवकाश) मंजूर कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रशासनिक असुविधा के आधार पर सीसीएल से इन्कार और साथ ही ईओएल की मंजूरी दोनों बातें एक-दूसरे के विपरीत हैं। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, नाबालिग बच्चों वाली महिला सरकारी कर्मचारी को अपने पूरे सेवा काल में अधिकतम 730 दिनों की सीसीएल दी जा सकती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 13, 2025, 19:09 IST
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