Automatic Cars: ऑटोमैटिक कारें बनी लोगों के लिए आरामदायक विकल्प, खरीदने से पहले जान लें ये 5 फायदे और नुकसान
आजकल शहरों में ट्रैफिक और जाम इतना बढ़ गया है कि गाड़ी चलाना अपने आप में एक चुनौती बन गया है। ऐसे में ऑटोमैटिक कारें लोगों के लिए एक आसान और आरामदायक विकल्प बनकर सामने आई हैं। इन कारों में क्लच और गियर बदलने की झंझट नहीं होती, इसलिए इन्हें चलाना बेहद आसान होता है। खासकर उन ड्राइवरों के लिए जो नए हैं और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रोजाना गाड़ी चलाते हों। हालांकि, इनके कुछ नुकसान भी हैं जैसे कि कीमत ज्यादा होना, मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ना और कंट्रोल कम मिलना। चलिए विस्तार से जानते हैं कि ऑटोमैटिक कारों के 5 फायदे और 5 नुकसान क्या हैं। ऑटोमैटिक कारों के 5 फायदे: चलाने में बेहद आसान ऑटोमैटिक कार की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसमें क्लच दबाने या गियर बदलने की जरूरत नहीं होती। आपको सिर्फ ब्रेक और एक्सेलेरेटर पर ध्यान देना होता है। इससे नए ड्राइवर्स के लिए कार चलाना बहुत आसान हो जाता है। साथ ही, ट्रैफिक में बार-बार गियर बदलने की झंझट से राहत मिलती है। कम थकावट और तनाव जो लोग रोज लंबा सफर करते हैं या भारी ट्रैफिक में गाड़ी चलाते हैं, उनके लिए ऑटोमैटिक कार बहुत राहत देती है। क्लच दबाने या गियर बदलने का झंझट खत्म होने से थकान और मानसिक तनाव दोनों कम होते हैं। यह फीचर खासकर शहरों और कार्यालय आवागमन के लिए बहुत उपयोगी है। स्मूद और लग्जरी ड्राइविंग अनुभव ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में गियर अपने आप बदलते हैं, जिससे ड्राइविंग के दौरान झटके महसूस नहीं होते। यह पूरी सवारी को स्मूद, लग्जरी और आरामदायक बना देता है। लंबी दूरी के सफर पर यह कारें ड्राइविंग का मजा बढ़ा देती हैं। ड्राइविंग में बेहतर सुरक्षा जब ड्राइवर को गियर और क्लच की चिंता नहीं रहती तो वह सड़क और ट्रैफिक पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकता है। इससे दुर्घटना की संभावना कम होती है और ड्राइविंग सुरक्षित बनती है। बेहतर रीसेल वैल्यू भारत में अब ऑटोमैटिक कारों की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इस वजह से इनकी रीसेल वैल्यू मैनुअल कारों से ज्यादा होती जा रही है। लोग इन्हें लंबे समय के लिए निवेश की तरह भी देखने लगे हैं। ऑटोमैटिक कारों के 5 नुकसान: ऑटोमैटिक कारों की कीमत ज्यादा होती है ऑटोमैटिक कारों में जो टेक्नोलॉजी और गियर सिस्टम इस्तेमाल होता है, वह मैनुअल कारों की तुलना में ज्यादा एडवांस्ड और महंगा होता है। इसलिए इनकी शुरुआती कीमत भी काफी ज्यादा होती है। रखरखाव और मरम्मत खर्चीले होते हैं ऑटोमैटिक कारों का गियर सिस्टम काफी जटिल होता है। इस वजह से जब भी कोई खराबी आती है, तो रखरखाव और मरम्मत का खर्च मैनुअल कारों से ज्यादा होता है। साथ ही हर सर्विस सेंटर में इनके पार्ट्स या टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं होते। ड्राइवर को कम नियंत्रण मिलता है मैनुअल कार में ड्राइवर खुद तय करता है कि कौन सा गियर कब लगाना है, जिससे ड्राइविंग पर पूरा कंट्रोल और मजा मिलता है। ऑटोमैटिक में गियर अपने आप बदलते हैं, इसलिए ड्राइवर का कंट्रोल थोड़ा कम हो जाता है जो स्पोर्टी ड्राइविंग पसंद करने वालों को कम पसंद आता है। माइलेज थोड़ा कम होता है कई बार ऑटोमैटिक कारें मैनुअल कारों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा पेट्रोल या डीजल खर्च करती हैं। हालांकि, अब नई टेक्नोलॉजी जैसे सीवीटी (CVT), एएमटी (AMT) और डीसीटी (DCT) ट्रांसमिशन आने से यह अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है। मशीनरी ज्यादा जटिल होती है ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के अंदर कई जटिल पार्ट्स होते हैं। अगर इनमें कोई खराबी आ जाए तो छोटी दिक्कत भी बड़ी और महंगी मरम्मत में बदल सकती है। इसलिए इन्हें चलाने में थोड़ी सावधानी और नियमित सर्विस जरूरी है। किसे चुनें: ऑटोमैटिक या मैनुअल अगर आप चाहते हैं कि आपकी ड्राइविंग आरामदायक, आसान और बिना तनाव की हो तो आपके लिए ऑटोमैटिक कार सबसे अच्छा विकल्प है। यह खासकर शहरों और रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए बेहतरीन है। लेकिन अगर आप ड्राइविंग का मजा, कंट्रोल और माइलेज को प्राथमिकता देते हैं, तो मैनुअल कार अब भी एक समझदारी भरा चुनाव है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 11, 2025, 19:21 IST
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