Charkhi Dadri News: हर माह 9 लोगों को काट रहे कुत्ते और बंदर

चरखी दादरी। जिले में बंदरों और कुत्तों की बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति से लोग खौफ के साये में हैं। प्रतिदिन बंदर और कुत्ते 9 लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ये हम नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कह रहे हैं। जी हां, पिछले साल की बात करे तो 3038 लोग बंदर और कुत्ते के काटने पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचे। ये आंकड़े बेहद चिंताजनक है जबकि फिलहाल प्रशासन की बंदर और कुत्तों को पकड़ने की कोई योजना नहीं है।2022 के 12 माह में बंदरों और कुत्तों का शिकार बने लोगों का संवाददाता ने स्वास्थ्य विभाग से डाटा जुटाया तो चौंकाने वाली स्थिति मिली। आंकड़ों पर गौर करे तो अकेले दादरी शहर में 1301 लोग बंदर या कुत्ते के काटने पर सिविल अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे। सबसे अधिक शिकार बने लोगों की सूची में दूसरा नंबर अचीना का आता है। यहां 273 लोग कुत्तों और बंदरों के काटने से घायल हुए। तीसरा नंबर बौंदकलां का है और यहां शिकार बने लोगों की संख्या 230 है। इमलोटा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गत वर्ष जनवरी से दिसंबर तक बंदर या कुत्ते के काटने का एक भी मामला सामने नहीं आया जबकि रानीला में भी संख्या महज पांच ही है।अब अगर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर कुत्तों या बंदरों के काटने पर मिलने वाले उपचार की स्थिति देखें तो संतोषजनक है। 16 स्वास्थ्य केंद्रों पर इसके उपचार की सुविधा है। तीन तरह का इसके लिए उपचार दिया जाता है। उपचार के दौरान एंटी रैबीज वैक्सीन की 3 से 5 डोज दी जाती है। स्टॉक की मौजूदा स्थिति की बात करे तो फिलहाल 3000 डोज विभाग के पास उपलब्ध है। एंटी रैबीज वैक्सीन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की बजाय बाहर साढ़े तीन गुना दाम पर मिलती है। संवादयूं दिया जाता है तीन तरह का उपचारनोडल अधिकारी डॉ. गौरव भारद्वाज ने बताया कि 16 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर कुत्ते या बंदर काटने से घायल मरीजों का उपचार किया जाता है। इनके तहत 0,3,7, 14, 28 व 59 दिन के अंतराल पर एंटी रैबीज वैक्सीन दी जाती है। पहले दो स्टेज में तीन और चार वैक्सीन लगाई जाती है जबकि तीसरी स्टेज में उपचार का समय 59 दिन तक हो सकता है। इन बातों का रखें ख्याल- कुत्ता या बंदर के काटते ही घाव को साबुन के पानी से तत्काल साफ करें।- घाव साफ करने के बाद घरेलू उपचार के बजाय तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।- घाव पर कपड़ा न बांधे और टांके लगवाने के बजाय इसे खुला छोड़ दें। - एंटी रैबीज वैक्सीन का पूरा कोर्स लें और विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही इसे बंद करे। यूं खतरनाक साबित हो सकती है लापरवाहीनोडल अधिकारी डॉ. गौरव भारद्वाज ने बताया कि कुत्ता या बंदर के काटने पर उपचार न कराने संबंधी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें रोग रीढ़ की हड्डी तक पहुंचा और इसका असर करीब आठ से 14 साल बाद पता चला। ऐसा एक वाक्या चंडीगढ़ में भी हुआ था।सरकारी केंद्रों पर 100 रुपये में मिलती है वैक्सीन, बाहर रेट 350 रुपये सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की बात करे तो वैक्सीन की डोज महज 100 रुपये में मिलती है। ओपीडी या इमरजेंसी कक्ष में पहुंचकर मरीज यह डोज लगवा सकता है। वहीं, बाहर वैक्सीन की एक डोज 350 रुपये में मिलती है। राहत की बात यह है कि फिलहाल विभाग के स्टॉक में पर्याप्त वैक्सीन है। नोडल अधिकारी डॉ. गौरव भारद्वाज ने कहा कि जिसको दूसरी या बाद की डोज लगवानी है वो ओपीडी में लगवाने को ही प्राथमिकता दें। पहली डोज इमरजेंसी कक्ष में लगवा सकते हैं।जानिये किस स्वास्थ्य केंद्र पर 2022 में उपचार के लिए पहुंचे कितने लोगक्र.सं. - स्वास्थ्य केंद्रों का नाम - उपचार लेने वाले घायल1- सीएचसी गोपी- 902-पीएचसी बाढड़ा- 1803-पीएचसी कादमा- 604-पीएचसी छपार- 965-पीएचसी हड़ोदी- 1506- सीएचसी बौंद कलां- 2307-पीएचसी रानीला- 58-पीएचसी अचीना- 2739-पीएचसी इमलोटा- 010-पीएचसी सांवड़- 15011-सीएचसी झोझू कलां- 8012-पीएचसी बलकरा- 9213-पीएचसी मानकावास- 14014- पीएचसी संतोकपुरा- 4215-पीएचसी माई कलां- 14916 सिविल अस्पताल- 1301जल्द लगाएंगे बंदर, कुत्ते और गोवंश पकड़ो अभियान का टेंडर : चेयरमैननगर परिषद चेयरमैन बक्शीराम सैनी का कहना है कि शहर में बंदर, कुत्ते और गोवंश पकड़वाने की योजना तैयार की जा रही है। हमारा प्रयास है कि एक साथ तीनों के टेंडर लगाए जाए। जल्द से जल्द इस योजना को सिरे चढ़वाया जाएगा और इस संबंध में अधिकारियों से बैठक भी की जाएगी।अधिकारी बोलेवर्ष 2022 में बंदरों और कुत्तों के काटने के 3000 से अधिक मामले आए हैं। सरकारी 16 स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार की सुविधा है। हमारे पास फिलहाल 3000 वैक्सीन स्टॉक में हैं।-डॉ. कृष्ण कुमार, सीएमओ, चरखी दादरी

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 10, 2023, 23:47 IST
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