सिर्फ पदनाम बदलने से कैडर मर्ज नहीं होता: हाईकोर्ट

चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि किसी पद का सिर्फ पुन: नामकरण करने से वह स्वतः किसी अन्य कैडर में मर्ज नहीं हो जाता। वास्तविक मर्ज तभी माना जाएगा जब सेवा नियमों में संशोधन किया जाए। कोर्ट ने कहा कि बिना नियमों में बदलाव किए समान वेतनमान या पदोन्नति के लाभ का दावा नहीं किया जा सकता।मामला चंडीगढ़ स्थित गवर्नमेंट म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी के एक गाइड से जुड़ा है। वर्ष 1991 में प्रशासन ने अलग-थलग पड़े पदों को मंत्रिस्तरीय कैडर में मर्ज करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 2001 में गाइड पद का नाम बदलकर गाइड-कम-क्लर्क किया गया परंतु भर्ती नियमों में संशोधन नहीं हुआ। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इससे उनका पद क्लर्क कैडर में शामिल हो गया और उन्हें समान वेतनमान व पदोन्नति का हक मिलना चाहिए।प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि केवल पदनाम बदला गया था, मर्ज नहीं किया गया क्योंकि सेवा नियमों में कोई संशोधन नहीं हुआ। 2018 में जारी स्पष्टीकरण में भी यही कहा गया था।न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और न्यायमूर्ति विकास सूरी की पीठ ने कहा कि गाइड को पूरे कार्यकाल में कभी भी क्लर्क कैडर का हिस्सा नहीं माना गया और सात साल पहले सेवानिवृत्त होने तक वे गाइड पद पर ही रहे। ऐसे में न वेतनमान, न वरिष्ठता और न ही पदोन्नति का दावा किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के 2018 के आदेश को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 22, 2025, 02:40 IST
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