मुद्दा: विमानन कंपनियां और बेबस यात्री... किराया बढ़ता जा रहा है, व्यवस्थाएं घटाती जा रही हैं

विमान यात्रियों की बढ़ती संख्या जहां विकास के आंकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए सुखद होती है, वहीं विगत कुछ वर्षों में भारत में एकाध विमानन कंपनियों के बढ़ते प्रभुत्व और यात्री सम्मत नियम-कायदों के अभाव में निरंकुश होती कंपनियां डायनामिक फेयर के तहत किराया तो बढ़ाती जा रही हैं, लेकिन व्यवस्थाएं घटाती जा रही हैं। संचालन संबंधी अपारदर्शिता के कारण यात्री खुद को बेबस महसूस करते हैं। यात्रियों के कष्ट की सूची में सर्वप्रथम विमान संचालन के अंतिम क्षणों में देरी अथवा रद्द करने की घोषणा से उपजा मानसिक व शारीरिक त्रास है। विमान सेवाओं में देरी अथवा रद्द होना मानो आम बात हो गई है। इसमें भी दिल्ली, मुंबई सरीखे कुछ महानगरों के लिए हो रहे संचालन को छोड़ दिया जाए, तो रद्द होते विमानों की संख्या में विगत कुछ समय से असंगत रूप से वृद्धि हुई है। इनमें भी टियर 2 व 3 शहरों के मध्य तथा नए एयरपोर्ट वाले या छोटे शहरों के बीच विमान संचालन में अपेक्षाकृत ज्यादा व्यवधान आते हैं। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा 25 जनवरी, 2023 को संशोधित नागर विमानन नियम भाग 3, शृंखला एम, खंड 2 व 4 के तहत देरी एवं रद्द होने की अवस्था में यात्रियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं, मुआवजों आदि का तो उल्लेख है, लेकिन ये प्रावधान यात्रियों को राहत पहंुचाने के बजाय विमान कंपनियों को बचने की सुगम राह ज्यादा प्रदान करते हैं। विमानों की देरी या रद्द होने से सामान्य नागरिकों के साथ बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग आदि भी प्रभावित होते हैं, जिनके बारे में नियम कोई भी लचीलापन या विशेष प्रावधान नहीं रखते। जैसे देरी या रद्द होने का समय यदि 24 घंटे से कम है, तो यात्रियों को मात्र भोजन या नाश्ता सुलभ करवाना होगा एवं उससे अधिक देर होने की अवस्था में ही उनके ठहरने की व्यवस्था मुहैया करवानी होगी। हालांकि, भोजन या नाश्ते को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करने से संचालक एक इडली या डोसा उपलब्ध कराकर खानापूर्ति कर लेते हैं। इसके अलावा, नियम विमान संचालन के समय को दृष्टिगत रखते हुए प्रदान की जाने वाली सुविधा को भी सही ढंग से निर्देशित नहीं करते। उदाहरणार्थ, यदि रात के समय संचालित होने वाला विमान रद्द होता है, तो यात्री कहां ठहरेंगे कंपनियां सेवा रद्द होने की अवस्था में बिना कटौती टिकट राशि लौटाने या विकल्प स्वरूप आगामी उपलब्ध विमान में यात्रा करने का विकल्प देती हैं, लेकिन सीमित ज्ञान व जटिल प्रक्रिया के चलते अधिकांश यात्री इसका लाभ नहीं उठा पाते। इन परिस्थितियों में भी अक्सर या तो वे दो घंटे तक की देरी में छूट के प्रावधान का लाभ लेते हुए देरी को एक घंटे 55 मिनट तक सीमित कर यात्रियों को विमान में बैठकर इंतजार करने के लिए छोड़ देते हैं या देरी को शनैः शनैः बढ़ाते हैं, ताकि यात्री किसी तरह का दावा ही न कर सकें। जापान में विमान के विलंबित होने की अवस्था में यात्रियों को समुचित नकद मुआवजा देने का प्रावधान है, ताकि यात्री कुछ भरपाई कर सकें। नियमों के तहत विलंब या रद्द होने पर की गई वैकल्पिक व्यवस्था में 24 घंटे से अधिक देरी होने पर यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था तय करने संबंधी छूट संचालक कंपनियों को दी गई है, जिसका फायदा उठाते हुए वे बिजनेस क्लास में सफर करने वाले वरिष्ठ व अस्वस्थ यात्रियों को भी होटल के भरोसे छोड़ देते हैं। वैसे कंपनियों का पहला प्रयास येन-केन-प्रकारेण इस दायित्व से बच निकलने का ही रहता है। यहां सोचने वाली बात यह है कि यदि यात्री टिकट रद्द करवाना चाहे या उसका विमान छूट जाए, तो उसे रद्दीकरण नियमों के तहत लगभग टिकट जितनी राशि दंडस्वरूप कटवानी होती है। लेकिन कंपनियों द्वारा अंतिम समय में रद्दीकरण को लेकर किसी भी प्रकार के मुआवजे का प्रावधान नहीं है। देरी या रद्द करने हेतु दिए जाने वाले कारणों को सार्वजनिक नहीं करने से आशंका बनती है कि संचालक और विमान प्राधिकरण के बीच मिलीभगत है। यात्रियों को जानने का अधिकार होना चाहिए कि संचालन में देरी या यात्रा रद्द क्यों हुई एवं परिवहन हेतु वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई डीजीसीए का भी दायित्व बनता है कि उक्त परिस्थितियों में संचालक के खर्च पर यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने की उचित व्यवस्था करे। इससे कंपनियों की मनमानी पर प्रभावी अंकुश लगेगा। शायद, डीजीसीए को दंड राशि मिलती हो, लेकिन यात्रियों को किसी भी प्रकार से भरपाई नहीं होती। आम जन की विमान सेवाओं पर बढ़ती निर्भरता और किंचित सेवा प्रदाताओं के बढ़ते एकाधिकार के मद्देनजर जरूरी है कि यात्री सम्मत एवं संचालन के प्रति कठोर प्रतिबद्धता वाले नियम बना कर लागू किए जाएं, ताकि जवाबदेह विमान सेवाओं के साथ यात्रियों के भी कष्ट कम हो सकें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 30, 2025, 06:04 IST
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