Lucknow News: ध्वस्ती के आदेश पर भी रजिस्ट्री कर फ्लैट बेचता रहा बिल्डर, सात रजिस्ट्रियां आईं सामने

अलाया अपार्टमेंट का काम शुरू होते ही एलडीए ने इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई शुरू कर दी थी। दो अगस्त 2010 को इसे तोड़ने का आदेश हो गया था। ऐसे में बिल्डर याजदान को पता था कि इमारत तोड़ी जाएगी, फिर भी उसने यहां फ्लैट बेच दिए। वर्ष 2010 से 2016 के बीच हुईं सात रजिस्ट्री सामने आई हैं। निबंधन कार्यालय ने एलडीए को अपार्टमेंट के लिए कराईं सात रजिस्ट्री दी हैं। इनका रिकॉर्ड देखें तो सपा के पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश शाहिद और भतीजे मो. तारिक ने फ्लैट मालिकों के पक्ष में निबंधन किया था। ये सारी रजिस्ट्री अवैध निर्माण पर कार्रवाई के बाद की गईं, जबकि उस समय बिल्डर का मूल नक्शा और शमन मानचित्र भी प्राधिकरण ने निरस्त कर दिया था। नक्शा स्वीकृत कराने और इसके निर्माण को मजबूत कराने के लिए कोई प्रयास करने की जानकारी भी अधिकारियों को नहीं मिल पाई है। ऐसे में सीधे तौर पर बिल्डर ने हकीकत को छिपाते हुए सभी को खतरे में डाला। 2009 में जमीन खरीदी, 2010 में फ्लैट बन गए अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा का कहना है कि अपार्टमेंट बनाने के लिए जमीन वर्ष 2009 में खरीदी गई थी। 2010 में बिल्डर ने फ्लैट की पहली रजिस्ट्री भी कर दी। यानी, एक साल में ही पांच मंजिला अपार्टमेंट खड़ा कर दिया गया। इस जल्दबाजी के चलते निर्माण कमजोर होने की पूरी संभावना उसी समय रही होगी। प्रवर्तन जोन-6 के जोनल अधिकारी रामशंकर ने बताया कि 2009 में जमीन खरीदने के बाद एक नक्शा जमा किया गया। हालांकि, इसका शुल्क न जमा करने से नक्शा निरस्त हो गया। फिर 2010 में शमन मानचित्र जमा किया, लेकिन यह भी निरस्त हो गया। 2010 में अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश हुआ है। इस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई इसकी जांच कर रहे हैं। 400 रुपये की पर्ची पर नक्शा जमा 27 जनवरी 2009 को बिल्डर ने नक्शा जमा हुआ। इसके लिए 400 रुपये की रसीद कटाई गई, लेकिन कोई शुल्क जमा नहीं किया। ऐसे में 28 मई 2011 को नक्शा निरस्त हो गया। संभव है कि बिल्डर ने रसीद दिखाकर लोगों को झूठ बोला हो कि जल्द अपार्टमेंट का नक्शा स्वीकृत हो जाएगा। फिर कार्रवाई से बचने के लिए 24 मई 2010 को शमन मानचित्र जमा किया। यह भी उसी तरह सात मार्च 2011 को निरस्त हो गया। दो अगस्त 2010 को बिल्डिंग तोड़ने का आदेश एलडीए से हुआ। पांच अगस्त 2010 को बिल्डर को भी नोटिस देकर खुद तोड़ने केलिए 20 दिन का समय दिया गया। हालांकि, बिल्डिंग कभी तोड़ी नहीं गई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 28, 2023, 02:23 IST
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