बसपा की राजनीति: पार्टी में फिर से हावी हो रहा है परिवारवाद, मायावती पलटती रही हैं फैसले; इनकी होगी वापसी?

बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेशनल कोऑर्डिनेटर जयप्रकाश को आठ साल पहले पार्टी से निष्कासित किया गया था। वह कई बार सार्वजनिक रूप से बसपा सुप्रीमो मायावती से माफी भी मांग चुके हैं। पार्टी के हर कार्यक्रम से लेकर जनाधार बढ़ाने तक की मुहिम में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। इसके बावजूद अभी तक उनकी पार्टी में वापसी नहीं हो सकी है। शनिवार को बसपा सुप्रीमो के समधी अशोक सिद्धार्थ की वापसी के बाद जयप्रकाश को भी पार्टी में शामिल करने की मांग होने लगी है। बता दें कि जयप्रकाश तो बानगी मात्र हैं, बसपा में तमाम नेता वापसी की उम्मीद लगाए हैं। इनमें मुख्य रूप से बसपा और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य हैं, जिनकी बसपा में वापसी की अटकलें लग रही हैं, लेकिन अभी बात नहीं बन सकी है। दरअसल, मायावती ने अपने फैसलों को पलटते हुए पहले भतीजे आकाश आनंद और फिर समधी अशोक सिद्धार्थ की पार्टी में वापसी कराई है। माना जा रहा है कि आकाश का बसपा में कद बढ़ने के बाद उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की वापसी का रास्ता साफ हुआ है। बसपा के इतिहास पर नजर डालें तो मायावती पहले भी तमाम नेताओं को इसी तरह माफ करती रही हैं। कुछ दिन पहले नगीना के सांसद गिरीश चंद्र को भी पार्टी में वापस लिया गया था। वहीं अफजाल अंसारी, इंद्रजीत सरोज समेत तमाम नेताओं का बसपा में आना-जाना लगा रहा। हाल ही में बसपा सुप्रीमो ने पूर्व कैबिनेट मंत्री धर्मवीर अशोक और पूर्व एमएलसी एमएल तोमर को भी पार्टी में वापस लेने का फैसला लिया है, जो दर्शाता है कि निष्कासित नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं किए जाते हैं। हालांकि बीते एक दशक पर नजर डालें तो पार्टी के तमाम कद्दावर नेताओं ने बसपा का साथ छोड़नेे के बाद वापसी नहीं की। इनमें से तमाम दूसरे दलों में जाने के बाद बड़े पदों पर आसीन हैं तो कई राजनीति में अब सक्रिय नहीं हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 06:25 IST
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