Bolivia: बोलिविया में पलटी सत्ता, रॉड्रिगो पाज की ऐतिहासिक जीत; अमेरिका के साथ रिश्तों में करेंगे नई शुरुआत?

बोलिविया में बीते 20 वर्षों में पहली बार एक दक्षिणपंथी नेता राष्ट्रपति चुने गए हैं। रॉड्रिगो पाजने रविवार को हुए चुनाव में 54.5% वोट पाकर चौंकाने वाली जीत दर्ज की। यह नतीजा देश में लंबे समय से चली आ रही वामपंथी सरकार के युग के अंत का संकेत भी माना जा रहाहै। अपनी जीत के बादपाजने सोमवार को कहा कि वह अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने और विदेशी निवेश लाने पर ध्यान देंगे। उन्होंने वॉशिंगटन के साथ पहले से बातचीत शुरू कर दी है ताकि 8 नवंबर को पदभार संभालने के बाद ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। अमेरिका के साथ नए संबंधों की शुरुआत अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाज की जीत को दोनों देशों के लिए एक नए युग की शुरुआतबताया। पाजने भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सहयोग के स्पष्ट संकेत दिए हैं और अब दोनों देश निवेश, सुरक्षा और आव्रजन जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करेंगे। ये भी पढ़ें:-France: पूर्व राष्ट्रपति सरकोजी की जेल की सजा आज से शुरू, पांच साल तक पेरिस के इस कारागर में रहेंगे कैद! तेल की किल्लत और बिगड़ी अर्थव्यवस्था बोलिविया की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। देश के केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा लगभग खत्म हो चुकी है, जिससे पेट्रोल और डीजल जैसी जरूरी चीजों का आयात मुश्किल हो गया है। शहरों में ईंधन के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं और सितंबर में महंगाई दर 23% तक पहुंच गई,जो 1991 के बाद सबसे ज्यादा है। आईएमएफ से नहीं लेंगे मदद चुनाव में पाज ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज "तूतो" किरोगा को हराया, जो आईएमएफसे कर्ज लेकर आर्थिक संकट सुलझाना चाहते थे। पाजने इस विचार को ठुकरा दिया क्योंकि बोलिविया में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रति अविश्वास गहरा है। जनता से जुड़ने में लारा की अहम भूमिका पाजकी लोकप्रियता में बड़ी भूमिका उनके उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एडमैन लारा की रही। पूर्व पुलिस अधिकारी लारा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सोशल मीडिया पर आवाज उठाई थी और खासकर गरीब और ग्रामीण मतदाताओं में काफी लोकप्रिय हुए। उन्होंने पेंशन बढ़ाने और नकद सहायता जैसी लोकलुभावन घोषणाएं कीं, जिससे वामपंथी मतदाताओं का समर्थन भी मिला। ये भी पढ़ें:-Nepal: 25 साल के बिपिन को नेपाल की अंतरिम PM सुशीला कार्की ने दी श्रद्धांजलि; हमास की कैद में हुई थी मौत संविधान में बदलाव की योजना पाजने कहा कि वो सबसे पहले देश की व्यवस्था सुधारेंगे। इसके लिए संविधान में बदलाव की भी योजना है। हालांकि इससे देश की बहुसंख्यक आदिवासी आबादी में चिंता है क्योंकि मौजूदा संविधान ने उन्हें राजनीतिक पहचान दी थी। पाजने भरोसा दिलाया कि आदिवासी समुदाय का सम्मान बरकरार रहेगा और न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 21, 2025, 08:36 IST
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