MP: काले हिरण शिकार कांड में इंटरनेशनल वाइल्डलाइफ स्मगलिंग सिंडिकेट से जुड़े होने की आशंका,अब STF की एंट्री

काले हिरण के शिकार मामले पर वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्य सरगना वसीम खान के साथ तीन अन्य शिकारियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि ये आरोपी मांस को भोपाल-इंदौर के रास्ते देश के अन्य बड़े शहरों में भेजते थे। चलिए जानते हैं इस मामले जुड़ी और भी बातें। सागर के राहतगढ़ में भोपाल के डॉक्टर वसीम खान सहित तीन शिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब वन्यजीव मांस की अंतरराज्यीय तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सागर-भोपाल रूट पर शिकार किए गए काले हिरण और अन्य वन्यजीवों का मांस इंदौर के रास्ते मुंबई और देश के अन्य बड़े शहरों तक भेजा जाता है। शिकारियों का मुख्य ठिकाना राहतगढ़ सूत्रों ने बताया कि भोपाल से सटे विदिशा, रायसेन और औबेदुल्लागंज के साथ-साथ सागर का राहतगढ़ इलाका शिकारियों के लिए एक प्रमुख शिकारगाह है।इसकी मुख्य वजह यह है कि राहतगढ़ क्षेत्र में काले हिरण और चीतल की आबादी अधिक है। शिकार किए गए जानवरों का मांस सबसे पहले भोपाल लाया जाता है, फिर इसे इंदौर भेजा जाता है, जहां से अज्ञात स्रोतों के माध्यम से इसे मुंबई जैसे महानगरों तक पहुँचाया जाता है। टॉर्च और दूरबीन लगी राइफल से होता है शिकार वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य शिकारी डॉ. वसीम खान है। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने शिकार के लिए आधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया। उन्होंने रात में शिकार करने के लिए खास तैयारी की थी। राइफल पर रात में निशाना लगाने के लिए टॉर्च और दूरबीन लगी थी। यह राइफल 22 बोर की थी, जिससे काले हिरण को तीन गोलियां मारी गईं। वन्यजीव अपराधों में यह एक गंभीर तथ्य है कि शिकारी अब एडवांस उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की संलिप्तता का संदेह यह भी सामने आया है कि इस रैकेट में कुछ स्थानीय लोगों की संलिप्तता हो सकती है। ये लोग शिकारियों को काले हिरण, चीतल और नीलगाय की सटीक लोकेशन चिन्हित कर साझा करते हैं। दबी जुबान में यह भी कहा जा रहा है कि क्षेत्र में गो-वध पर प्रभावी अंकुश लगने के बाद कुछ स्थानीय लोग इन शिकारियों से जुड़ गए हैं। वन विभाग की टीम अब अगले चरण में भोपाल स्थित वसीम खान की क्लीनिक पर छापामार कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही आरोपियों के बैंक खाते, फोन रिकॉर्ड और सोशल नेटवर्किंग की जांच भी शुरू की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह गिरोह कितने समय से सक्रिय था और क्या इसके तार अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। वन विभाग इस पूरे मामले को इंटरनेशनल वाइल्डलाइफ स्मगलिंग सिंडिकेट से जुड़े होने की आशंका के तहत जांच रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए STF भी जांच में शामिल हो गई है। ये भी पढ़ें-यूरिया संकट पर फूटा गुस्सा: छतरपुर में किसानों ने हाईवे जाम किया, पुलिस ने बलपूर्वक हटाया; कैसे बिगड़ी स्थिति पहले भी पकड़ी गई थी बड़ी खेप राहतगढ़ वन परिक्षेत्र में जंगली मांस की तस्करी का यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2015 में भी तत्कालीन वन अमले ने भोपाल के एक कुख्यात शिकारी बहूद को दबोचकर 4 क्विंटल जंगली मांस की एक बड़ी खेप जब्त की थी। इससे इस रूट पर होने वाली तस्करी की गंभीरता को समझा जा सकता है। फिलहाल, मुख्य आरोपी डॉ. वसीम खान सहित तीनों गिरफ्तार आरोपियों को जिला न्यायालय द्वारा ज्युडिशियल रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। वन विभाग इस अंतरराज्यीय तस्करी के पूरे नेटवर्क और इसके आर्थिक पहलुओं की गहराई से जांच कर रहा है। वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस शिकार रैकेट के सभी सदस्यों और खरीददारों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 08, 2025, 16:43 IST
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