BJP Election Roadmap: भाजपा का चुनावी रोडमैप, विपक्ष से मिलेगी कड़ी चुनौती

मकर संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होते ही देश के सियासी हलकों में भी हलचल तेज हो गई है और मौसम का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने के साथ ही राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है। यही वजह है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए कहा कि अब लोकसभा चुनाव में मात्र 400 दिन ही बचे हैं, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को एक-एक मतदाता तक पहुंचने के लिए कमर कस लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हाशिये पर रहने वाले लोगों तक संपर्क बढ़ाएं और उन्हें सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में बताएं। प्रधानमंत्री मोदी के इस वक्तव्य से स्पष्ट है कि भाजपा अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है और उससे पहले इस वर्ष होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव को पूर्वाभ्यास की तरह ले रही है, जिसके नतीजे जनमत पर खास प्रभाव डालेंगे। यही वजह है कि पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि हमें इस वर्ष होने वाले सभी नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करनी है। इस साल जिन नौ राज्यों में चुनाव होने वाले हैं,वे हैं-मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम। इन राज्यों में जीत-हार से ही आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के मूड का पता चलेगा। इनमें से तीन राज्यों-मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं त्रिपुरा में भाजपा सत्ता में है और दो राज्यों-नगालैंड एवं मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है। जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में है, और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस (अब बीआरएस) सत्ता में है। बुधवार को ही चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों-त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी है। इन राज्यों में फरवरी में चुनाव होने वाले हैं। जैसा कि सभी जानते हैं, भाजपा एक चुनाव खत्म होने के तुरंत बाद अगले चुनाव की तैयारी में लग जाती है और इसी वजह से वह चुनाव की रणनीति बनाने में विपक्षी दलों को पीछे छोड़ देती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लोकसभा चुनाव तक जेपी नड्डा के कार्यकाल को विस्तार देने का स्पष्ट संदेश है कि पार्टी राज्य और केंद्र के चुनाव से ठीक पहले शानदार चुनावी प्रदर्शन करने वाली टीम में किसी तरह का छेड़छाड़ करना नहीं चाहती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा को समावेशी बनना पड़ेगा, सभी जाति, धर्म के लोगों से जुड़ना पड़ेगा। 'बेटी बचाओ' कार्यक्रम की तर्ज पर उन्होंने 'धरती बचाओ' कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया। इस प्रकार, जहां उन्होंने यह संकेत दिया कि महिलाओं का कल्याण और सशक्तीकरण उनकी राजनीति के केंद्र में रहेगा, वहीं यह भी स्पष्ट कर दिया कि वैश्विक चिंता पर भी उनकी नजर है। असल में भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी ताकत है-प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता। मोदी की तरह लोकप्रिय एक भी नेता फिलहाल विपक्ष के पास नहीं है। इसके अलावा भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में समाज की छोटी-छोटी जातियों, हाशिये के लोगों को अपने साथ जोड़ा है, तथा पार्टी एवं सरकार में एससी, एसटी एवं ओबीसी वर्गों के लोगों को प्रतिनिधित्व प्रदान किया है। जैसा कि विभिन्न चुनावों में मोदी सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का असर दिखा है, मोदी सरकार आगे भी लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिये हाशिये के वंचित लोगों तक अपनी पहुंच बनाए रखेगी। हालांकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के तमाम लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों पर सत्ता विरोधी रुझान और पुराने पेंशन का मामला भारी पड़ गया। इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि पार्टी के समक्ष चुनौतियां नहीं हैं। भले ही भाजपा वाले इनकार करें, लेकिन यह राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का ही प्रभाव है कि प्रधानमंत्री को इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले दिल्ली में रोड शो करना पड़ा। हालांकि पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी बेहतर स्थिति में है, लेकिन त्रिपुरा में भी माकपा (सीपीएम) और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा करेगा। कर्नाटक में येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई गुट के बीच खींचतान है, तो मध्य प्रदेश में भी पार्टी को शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी रुझान से जूझना पड़ेगा। यही नहीं, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को कांग्रेस की तरफ से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है। उधर तेलंगाना में बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव भाजपा के लिए कठिन चुनौती पैदा करना चाह रहे हैं और विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में हैं। हालांकि अभी तक विपक्षी एकता की कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आ पाई है, लेकिन केसीआर द्वारा बुलाई गई बैठक में तीन मुख्यमंत्री-दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, पंजाब के भगवंत मान और केरल के पिनरई विजयन के साथ एक पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हिस्सा लेने की खबरें हैं। के चंद्रशेखर राव लंबे समय से गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस गठबंधन बनाने के प्रयास में हैं। खैर, फिलहाल विपक्षी एकता की कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं होने के कारण इस चुनावी समर में भाजपा बढ़त में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़ते कद को भी भाजपा विधानसभा चुनावों तक में अपने पक्ष में भुनाती रही है। और यह सुखद संयोग है कि इस बार जी-20 की अध्यक्षता से लेकर शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता भारत को मिली है। जाहिर है, भाजपा चुनावों में इसका फायदा उठाएगी। इसके अलावा जैसा कि गृहमंत्री अमित शाह ने पहले ही घोषणा कर दी है कि एक जनवरी, 2024 को अयोध्या में भव्य राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। जाहिर है, भाजपा चुनाव में इसे भी जोर-शोर से उठाकर फायदा लेना चाहेगी। इस तरह से इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के जरिये भाजपा ने अपना चुनावी रोडमैप सामने रख दिया है। अब देखना है कि विपक्ष इसकी काट में कैसी रणनीति अपनाता है और भाजपा के विजय रथ को किस तरह से रोकता है!

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 19, 2023, 05:51 IST
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