भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक: जेपी नड्डा की अग्निपरीक्षा शुरू, 17 जनवरी को साफ होगी तस्वीर

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल होने आ रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए दूसरे प्रवेश द्वार पर थे। जैसे ही उन्हें प्रधानमंत्री के अन्य प्रवेश द्वार से आने की सूचना मिली, तेज गति से पहुंचे। स्वागत किया, लेकिन प्रधानमंत्री ने हिमाचल चुनाव के नतीजे को लेकर मिठास से भरा ताना दे दिया। तब से राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि जेपी नड्डा को बतौर अध्यक्ष 20 जनवरी के बाद सेवा विस्तार की संभावना कम है। इसका पटाक्षेप 16-17 जनवरी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में होगा। हालांकि, इतना तय है कि 17 जनवरी 2023 को फैसला चाहे जो हो, जेपी नड्डा बेरोजगार नहीं रहने वाले हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को सफल बनाने, प्रधानमंत्री के स्वागत और कार्यक्रम को मूर्त रूप देने तथा राज्यवार तैयारी का खाका तैयार करने के लिए राष्ट्रीय महासचिवों की बैठक बुलाई। मंत्रणा भी की। इस बैठक में पार्टी के बेरोजगार चल रहे राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयावर्गीज ने भी भाग लिया। बेरोजगार का आशय केवल इतना है कि विजयवर्गीय के पास लंबे समय से किसी भी राज्य का प्रभार नहीं है। इसे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में आए नतीजे से जोड़कर देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री का भव्य रोड-शो संभावित भाजपा अध्यक्ष ने अपने रणनीतिकारों के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री के स्वागत की रूपरेखा पर भी चर्चा की है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस दौरान पार्टी कार्यालय तक रोड-शो के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यह रोड शो एक से डेढ़ किमी का हो सकता है। इसे गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली शानदार जीत के जश्न से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि 2023 में जम्मू-कश्मीर को लेकर कुल 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव मई-जून 2023 तक हो सकता है। इसके अलावा 2024 में आम चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री के स्वागत की विशेष तैयारियां चल रही हैं। क्या जेपी नड्डा को मिलेगा सेवा विस्तार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के दूसरे कार्यकाल या बतौर अध्यक्ष सेवा विस्तार को लेकर भाजपा के सूत्रों की राय अलग-अलग है। पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोनों होमवर्क को काफी वरीयता देते हैं। परफार्मेंस करने वाले को पार्टी संगठन और सरकार में निराश नहीं होना पड़ता। इसलिए हमें सकारात्मक सोचना चाहिए। केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान न पाने वाले एक पूर्व मंत्री ने संकेतों में अपनी बात कही। सूत्र का कहना है कि जेपी नड्डा प्रधानमंत्री की गुडबुक में आते हैं। नड्डा जी कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं। इसलिए नड्डा को सेवा विस्तार मिलने की पूरी संभावना है। यदि प्रधानमंत्री ने किसी अन्य को अवसर दिया तब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष को सरकार में या संगठन में किसी बड़ी जिम्मेदारी से जोड़े रखने की पूरी संभावना है। भाजपा में ही एक खेमा ऐसा है जो नड्डा को सेवा विस्तार देने के प्रति आश्वस्त है। उसका कहना है कि संघ के नेता भी 2024 के आम चुनाव तक पार्टी अध्यक्ष के बने रहने के पक्ष में हैं। हालांकि कयासों का दौर जारी है। इसमें नड्डा को दूसरा कार्यकाल या सेवा विस्तार न दिए जाने की चर्चा है। कहा यह भी जा रहा है कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान या वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। धर्मेंद्र प्रधान पर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भरोसा करते हैं, वहीं भूपेंद्र यादव प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की गुडबुक वाले नेता हैं। भूपेंद्र यादव ने प्रभारी महासचिव रहते हुए अपनी काबिलियत का लोहा भी मनवाया था। सरकार में भी फेरबदल और विस्तार संभावित केंद्रीय सचिवालय में भी मंत्रिमंडल के फेरबदल और विस्तार की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि फरवरी के दूसरे सप्ताह तक कभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार हो सकता है। कई मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और कई मंत्रियों के विभाग बदल सकते हैं। प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल से कई पुराने चेहरों को संगठन में भेज सकते हैं और कई नेताओं को मंत्रिमंडल में कामकाज का अवसर दे सकते हैं। अन्य दलों में चिराग पासवान, अकाली दल बादल की हरसिमरत कौर बादल को मंत्री बनाया जा सकता है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) गुट के कुछ (02) सांसदों को भी मंत्रिमंडल में शामिल होने का अवसर मिल सकता है। अगले 18 महीने भाजपा रखेगी फूंक-फूंककर कदम अगले साल 2024 में प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार देश की जनता से जनमत मांगेगे। उसके पहले 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह चुनाव आम चुनाव को लेकर राजनीतिक धारणा बनाने में भूमिका निभाते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार राज्य विधानसभा चुनाव और आम चुनाव का मिजाज अलग होता है। इसके लिए वह मध्य प्रदेश, राजस्थान के विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हैं। जहां भाजपा ने विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद लोकसभा के आम चुनाव में झंडा गाड़ दिया था। केंद्रीय गृहमंत्री तैयारी पर भरोसा करते हैं और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मिली सफलता को काफी अहम मानते हैं। 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्ष भी राजनीतिक गोलबंदी कर रहा है। मुख्यविपक्षी दल के सांसद राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर की भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। इसके बाद उनकी भारत जोड़ो यात्रा-2 (पश्चिम से पूर्व) की भी योजना है। इसकी राजनीतिक काट के लिए भाजपा भी देश में यात्रा निकालने की पहल कर सकती है। इसे देखते हुए जनवरी 2023 से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका काफी अधिक बढ़ने वाली है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 10, 2023, 22:53 IST
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