BJP Mission South: 2024 में दक्षिण भारत से चुनाव लड़ सकते हैं पीएम मोदी! पार्टी इन तीन सीटों पर कर रही सर्वे

उत्तर भारत में अपनी मजबूत स्थिति के बाद अब भाजपा दक्षिण भारत में भी ऐसा ही परचम लहराना चाह रही है। इसके लिए पार्टी की ओर से कई सर्वे शुरू किए जा रहे हैं। भाजपा से जुड़े नेताओं के मुताबिक अगर सब कुछ योजना मुताबिक ही रहा, तो संभव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में लोकसभा का चुनाव तमिलनाडु से भी लड़ें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने से पहले तमिलनाडु की तीन लोकसभा सीटों पर सर्वे भी शुरू किया जा रहा है। इसमें तमिलनाडु की रामनाथपुरम (रामेश्वरम लोकसभा), मदुरै और कोयंबटूर शामिल है। बीते कुछ समय में भाजपा ने तमिलनाडु पर न सिर्फ फोकस करते हुए उत्तर भारत और दक्षिण भारत को जोड़ने के कई कार्यक्रम किए, बल्कि ऐसे कई इशारे भी हुए जो यह स्पष्ट करते हैं कि पार्टी तमिलनाडु से पूरे दक्षिण भारत में अपनी मजबूत स्थिति बनाने की तैयारी में लगी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत करने के लिहाज से मोदी का यहां से चुनाव लड़ने से बड़ा विकल्प और कुछ नहीं हो सकता। तीन सीटों से चुनाव लड़ने की चर्चा 2024 लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, सियासी सरगर्मी और चर्चाओं का दौर तेज होता जा रहा है। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस वक्त सबसे ज्यादा इस बात की हो रही हैं कि क्या 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण भारत के किसी राज्य से चुनाव लड़ेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा को दक्षिण में मजबूत करने के लिए इससे बढ़िया विकल्प भाजपा के पास और कुछ नहीं हो सकता। राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि बीते कुछ समय से भाजपा के कार्यक्रम, योजनाएं और प्रधानमंत्री मोदी का तमिलनाडु पर किया गया फोकस तो यही इशारे करता है कि वह दक्षिण भारत में खासतौर से तमिलनाडु के किसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। उनका कहना है कि जिस तरीके से आध्यात्मिक नगरी काशी के महत्व को बढ़ावा मिला है, उसी तरीके से दक्षिण भारत की भी कई लोकसभा सीटें हैं, जो उसी महत्व की हैं। वह कहते हैं कि रामनाथपुरम लोकसभा सीट में रामेश्वरम भी आता है और रामसेतु भी। अगर रामनाथपुरम से नरेंद्र मोदी की दावेदारी होती है, तो भाजपा के एजेंडे के मुताबिक यह सबसे बड़ा पॉलिटिकल शॉट माना जाएगा। जिसका असर पूरे देश में दिखेगा। दरअसल भाजपा को दक्षिण भारत में अपना विस्तार करने के लिए ऐसे ही किसी बड़े मास्टर स्ट्रोक की जरूरत है। भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उनकी रणनीतियां बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है। ऐसी रणनीतियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दक्षिण भारत से चुनाव लड़ाने की योजना पर काम तो किया जा रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। वही, सूत्रों का कहना है कि मदुरै, रामनाथपुरम और कोयंबटूर लोकसभा क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू किया जा चुका है। इस दौरान यह देखा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी इनमें से कौन सी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें और उसका असर सिर्फ इस सीट पर नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और आसपास के इलाकों में भी हो। दरअसल पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री का दक्षिण भारत में चुनाव लड़ने का मकसद समूचे दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी मजबूत पैठ बनाने का ही है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार केडी सुदर्शन कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव को लेकर दक्षिण भारत में बहुत चर्चा हो रही है। रामनाथपुरम सीट पर उनकी दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है क्योंकि ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम और रामसेतु भी इसी सीट के अंतर्गत आते हैं। रामनाथपुरम सीट से इंडियन मुस्लिम यूनियन लीग के नवास कानी सांसद पत्रकार केडी सुदर्शन कहते हैं कि सियासी दूरदर्शिता के लिहाज से रामनाथपुरम सीट भाजपा के लिए बहुत मुफीद हो सकती है। इसके पीछे का लॉजिक समझाते हुए वह कहते हैं कि इस वक्त इस सीट पर इंडियन मुस्लिम यूनियन लीग के नवास कानी सांसद हैं। वह कहते हैं कि 2019 में इसी सीट पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। जबकि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा तीसरे नंबर पर थी। उनका कहना है कि भाजपा का लगातार प्रदर्शन इस लोकसभा सीट पर बेहतर हुआ है। सुदर्शन कहते हैं अगर भाजपा यहां से प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव लड़ाती है, तो इसका असर दक्षिण भारत के उन सभी राज्यों में होगा जहां पर पार्टी अपनी मजबूत स्थिति देखना चाहती है। दरसल मुस्लिम यूनियन लीग को हराना और मुस्लिम प्रत्याशी को हराने से एक संदेश साफ हो जाएगा। जिसके असर से भाजपा को दक्षिण में एक मजबूत गढ़ बनाने में मदद मिलेगी। राजनीतिक विश्लेषक हरिओम सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चाहे सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन हो या लाल किला की प्राचीर। हर जगह से तमिल महाकवि (सुब्रमण्यम भारती) भारतियार की कविता पाठ करके तमिलनाडु से अपने मजबूत रिश्ते का बखान भी किया। सिंह कहते हैं सिर्फ यही नहीं जिस तरीके से काशी में तमिल संगम की शुरुआत हुई, वह भी सियासत की नजर में बहुत कुछ इशारे कर रहा था। उनका कहना है की भाजपा जिस तरीके से उत्तर भारत और दक्षिण भारत को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नजरिए से आपस में जोड़ रही है, उसका सियासी असर तो दिखेगा ही। कार सेवा में जिस तरीके से दक्षिण भारत के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और यही तमिलनाडु के लोग राम मंदिर के साथ रामसेतु को जोड़कर हिंदू धार्मिक स्थलों को आपस में मजबूत कर रहे हैं। मोदी सरकार की योजनाओं से तमिलनाडु के लोगों को फायदा वरिष्ठ पत्रकार केडी सुदर्शन कहते हैं कि मोदी सरकार की ओर से शुरू हुई मुद्रा लोन, फसल बीमा योजना समेत कई योजनाओ से तमिलनाडु के लोगों का फायदा हुआ है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल नेटवर्क में भी तमिलनाडु को बेहतर तरीके से मोदी सरकार में जोड़ा गया है। उनका कहना है कि चेन्नई, मदुरै, तेजस एक्सप्रेस और चेन्नई नागरकोइल अंत्योदय एक्सप्रेस समेत दक्षिण तमिलनाडु में पद्मा ब्रिज को शुरू किए जाने से लोगों को बड़ा फायदा हुआ है। उनका मानना है 2019 में बनी मोदी सरकार ने तमिलनाडु में लोगों की बेहतरी के लिए बहुत ज्यादा काम किए हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तमिलनाडु से चुनाव लड़ना सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि समूचे दक्षिण भारत में पार्टी के ग्राफ को ऊपर उठा सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 27, 2023, 14:04 IST
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